"आकाश": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: अंगराग परिवर्तन |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया। |
||
पंक्ति 17:
एकं सर्वगतं व्योम बहिरन्तर्यथा घटे | नित्यं निरन्तरं ब्रह्म सर्वभूतगणे तथा ||१- २०||<ref>अष्टावक्र गीता, भाग १, श्लोक-२०</ref>
:जिस प्रकार एक ही सर्वव्यापक आकाश घड़े के अंदर व बाहर है, उसी प्रकार सदा स्थिर (सदा विद्यमान) व सदा गतिमान (सदा रहने वाला) ब्रह्म सभी भूतों (all existence) में है।
तज्ज्ञस्य पुण्यपापाभ्यां स्पर्शो ह्यन्तर्न जायते | न ह्याकाशस्य धूमेन दृश्यमानापि सङ्गतिः ||४- ३||<ref>अष्टावक्र गीता, भाग ४, श्लोक-३</ref>
|