"आरती": अवतरणों में अंतर

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'''आरती''' [[हिन्दू]] उपासना की एक विधि है। इसमें जलती हुई लौ या इसके समान कुछ खास वस्तुओं से आराध्य के सामाने एक विशेष विधि से घुमाई जाती है। ये लौ घी या तेल के दीये की हो सकती है या [[कपूर]] की। इसमें वैकल्पिक रूप से, घी, धूप तथा सुगंधित पदार्थों को भी मिलाया जाता है। कई बार इसके साथ [[संगीत]] ([[भजन]]) तथा नृत्य भी होता है। [[मंदिर|मंदिरों]] में इसे प्रातः, सांय एवं रात्रि (शयन) में द्वार के बंद होने से पहले किया जाता है। प्राचीन काल में यह व्यापक पैमाने पर प्रयोग किया जाता था। [[तमिल भाषा]] में इसे ''दीप आराधनई'' कहते हैं।
 
सामान्यतया पूजा के अंत में आराध्य भगवान की आरती करते हैं। आरती में कई सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। इन सबका विशेष अर्थ होता है। ऐसी मान्यता है कि न केवल आरती करने, बल्कि इसमें सम्मिलित होने पर भी बहुत पुण्य मिलता है। किसी भी देवता की आरती करते समय उन्हें तीन बार पुष्प अर्पित करने चाहियें। इस बीच ढोल, नगाडे, घड़ियाल आदि भी बजाये जाते हैं।<ref name="याहू-धर्म">[http://in.jagran.yahoo.com/dharm/?page=article&category=3&articleid=4639 आरती क्यों और कैसे?]।याहू। याहू जागरण- धर्म।मीताधर्म। मीता जिंदल</ref>
== विधि ==
[[चित्र:Incense smoke Aarti, Ganges, Varanasi.jpg|right|thumb|200px| [[गंगा]] मैया की धूप-लोबान से आरती, [[वाराणसी]] का उठता हुआ धुआं]]
आरती करते हुए भक्त के मान में ऐसी भावना होनी चाहिए, मानो वह पंच-प्राणों की सहायता से ईश्वर की आरती उतार रहा हो। घी की ज्योति जीव के आत्मा की ज्योति का प्रतीक मानी जाती है। यदि भक्त अंतर्मन से ईश्वर को पुकारते हैं, तो यह पंचारती कहलाती है।
आरती प्रायः दिन में एक से पांच बार की जाती है। इसे हर प्रकार के धामिक समारोह एवं त्यौहारों में पूजा के अंत में करते हैं।एकहैं। एक पात्र में शुद्ध घी लेकर उसमें विषम संख्या (जैसे ३, ५ या ७) में बत्तियां जलाकर आरती की जाती है। इसके अलावा कपूर से भी आरती कर सकते हैं। सामान्य तौर पर पांच बत्तियों से आरती की जाती है, जिसे '''पंच प्रदीप''' भी कहते हैं।<ref name="डिस्कवरी"/> आरती पांच प्रकार से की जाती है। पहली दीपमाला से, दूसरी जल से भरे शंख से, तीसरी धुले हुए वस्त्र से, चौथी आम और पीपल आदि के पत्तों से और पांचवीं साष्टांग अर्थात शरीर के पांचों भाग ([[मस्तिष्क]], [[हृदय]], दोनों कंधे, [[हाथ]] व घुटने) से। पंच-प्राणों की प्रतीक आरती मानव शरीर के पंच-प्राणों की प्रतीक मानी जाती है।<ref name="याहू-धर्म"/>
 
[[चित्र:Evening Ganga Aarti, at Dashashwamedh ghat, Varanasi.jpg|left|thumb|200px|वाराणसी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा मैया की आरती]]
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== सामग्री का महत्व ==
[[चित्र:Multi-tiered aarti stand being lit, during Ganga Aarti, Varanasi.jpg|thumb|200px|आरती के सहस्रदीप की तैयाई करते हुए पुजारी]]
आरती के समय कई सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। पूजा में न केवल कलश का प्रयोग करते हैं, बल्कि उसमें कई प्रकार की सामग्रियां भी डालते जाते हैं। इन सभी के पीछे धार्मिक एवं वैज्ञानिक आधार भी हैं।<ref name="याहू-धर्म"/><ref name="डिस्कवरी">[http://hi.brajdiscovery.org/index.php?title=%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80 आरती पूजन ]।बृज। बृज डिस्कवरी</ref><ref name="डिस्कवरी"/>
* '''[[कलश]]''': कलश एक खास आकार का बना होता है। इसके अंदर का स्थान बिल्कुल खाली होता है। मान्यतानुसा इस खाली स्थान में शिव बसते हैं। यदि आरती के समय कलश का प्रयोग करते हैं, तो इसका अर्थ है कि भक्त शिव से एकाकार हो रहे हैं। समुद्र मंथन के समय विष्णु भगवान ने अमृत कलश धारण किया था। इसलिए कलश में सभी देवताओं का वास माना जाता है।
 
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* '''[[सप्तनदी|सप्तनदियों]] का जल''': [[गंगा]], [[गोदावरी]], [[यमुना]], [[सिंधु]], [[सरस्वती]], [[कावेरी]] और [[नर्मदा]] नदी का जल पूजा के कलश में डाला जाता है। सप्त नदियों के जल में सकारात्मक ऊर्जा को आकृष्ट करने और उसे वातावरण में प्रवाहित करने की क्षमता होती है। क्योंकि अधिकतर योगी-मुनि ने ईश्वर से एकाकार करने के लिए इन्हीं नदियों के किनारे तपस्या की थी।
 
* '''[[पान]] [[सुपारी]]''': यदि जल में सुपारी डालते हैं, तो इससे उत्पन्न तरंगें रजोगुण को समाप्त कर देती हैं और भीतर देवता के अच्छे गुणों को ग्रहण करने की क्षमता बढ जाती है। पान की बेल को नागबेल भी कहते हैं।नागबेलकोहैं। नागबेलको भूलोक और ब्रह्मलोक को जोड़ने वाली कड़ी माना जाता है। इसमें भूमि तरंगों को आकृष्ट करने की क्षमता होती है। साथ ही, इसे सात्विक भी कहा गया है। देवता की मूर्ति से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा पान के डंठल द्वारा ग्रहण की जाती है।
 
* '''[[तुलसी]]''': [[आयुर्वेद]] में [[तुलसी]] का प्रयोग सदियों से होता आ रहा है। अन्य वनस्पतियों की तुलना में तुलसी में वातावरण को शुद्ध करने की क्षमता अधिक होती है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आरती" से प्राप्त