"आस्ट्रियाई साहित्य": अवतरणों में अंतर
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18वीं शताब्दी के मध्य में [[आफ़क्लेयरुंग]] (ज्ञानोदय) आंदोलन आस्ट्रिया में प्रविष्ट हुआ, जिसने उत्तरी और दक्षिणी जर्मनी के काउंटर रिफ़र्मेंशन से चले आए साहित्यिक मतभेदों को कम किया। इस समन्वयवादी प्रवृत्ति का ऐतिहासिक प्रतिनिधि ज़ोननफैल्स (सन् 1733-1817 ई.) है, जिसके साहित्य में स्थायी तत्व का अभाव होते हुए भी उसकी सदाशयता महत्वपूर्ण है। इस आंदोलन का एक अन्य महत्वपूर्ण परिणाम सन् 1776 ई. में 'बुर्ग थियेटर' की स्थापना है जिसका प्रसिद्ध नाटककार कॉलिन हुआ।
आस्ट्रियाई साहित्य का स्वर्ण युग 'फ़ारम्येर्ज़' (रोमानी) आंदोलन से प्रारंभ हुआ जिसके प्रवर्तक श्लेगेल बंधु हैं। यह रोमानी आंदोलन अंगेजी तथा अन्यान्य यूरोपीय साहित्यों में बाद को शुरू हुआ। बानर्नफ़ेल्ड, रैमंड, नैस्ट्राय, ग्रुइन, लेनाफ़, स्टल्ज़हामर आदि इस युग के अन्य मान्य लेखक हैं। स्टिफ़लर (सन् 1868 ई.) और विश्वविद्यालय ग्रिलपार्ज़र (सन् 1872 ई.) रोमानी युग तथा आनेवाले स्वाभाविक उदारतावादी युग को मिलानेवाली कड़ी थे। आस्ट्रिया में प्रवसित जर्मन हैबल, लाउबे, बिलब्रांड तथा आस्ट्रियाई क्विन व्यर्गर, शीडलर, हामरलिंग, एबनेयर, ऐशिनबाख़, सार, रोज़ेग्येर, आज़िनग्रूबर आदि स्वाभाविक उदारतावादी प्रवृत्ति के प्रमुख लेखक हुए।
आधुनिक आस्ट्रियाई साहित्य का प्रादुर्भाव नवरोमानी प्रवृत्ति को लेकर सन् 1880 ई. में हुआ। इस नवीन प्रवृत्ति का प्राबल्य सन् 1900 ई. तक ही रहा, किंतु इस युग ने सर्वतोमुखी प्रतिभासंपन्न महान् लेखक हेयरमान ब्हार को जन्म दिया।
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आस्टिट्रयाई गीतिकाव्य के 'प्रौढ़ आधुनिक' कवियों में ह्यूगो हाफ़मांसठाल सर्वश्रेष्ठ गीतिकार हुए। यह राइनलैंडर स्टीफ़न ग्यार्ग (सन् 1809-1902 ई.) प्रणीत उग्र यथार्थवाद के विरोधी स्कूल के प्रमुख कवि थे। आंग्ल कवि स्विनबर्न से इनकी तुलना की जा सकती है। दिन-प्रति-दिन के जीवन के प्रति आभिजात्यसुलभ उदासीनता, जटिल असामान्य आध्यात्मिक तत्वज्ञान की प्राप्ति के लिए व्याकुल अधीरता और सूक्ष्म सौंदर्य की खोज इनके काव्य की विशेषताएँ हैं। यह भव्य कल्पना एवं संपन्न भाषा के धनी थे। अपनी शैली के यह राजा थे। सम्यक् दृष्टि से इनकी तुलना हिंदी के महान् कवि श्री सुमित्रानंदन पंत से की जा सकती है। इनसे प्रभावित गीतिकारों में स्टीफ़ेन ज्विग, ब्लाडीमीर, हार्टलीब, हांस फ्लूलर, अल्फ्रडे गुडवाल्ड, ओटोहांसर, फ़ेलिक्स ब्राउन, पाउल व्यर्टहाइमर, मार्क्स मैल और भावोन्मादी कवि आंटोन वील्डगांस सुप्रसिद्ध हैं।
अभिव्यक्तिवादी वर्ग के अल्बर्ट ऐहरेंस्टीन, फ्रांज व्यर्फ़ल, ग्योर्ग, ट्राक्ल कार्ल शासलाइटनर, फ्रेड्रिख श्वेफ़ोग्ल आदि कवियों ने जहां छंदों के बंधनों और तर्क की कारा को तोड़ा, वहां समस्त विश्व और मानवता के प्रति अपने काव्य में असीम प्रेम को अभिव्यक्त किया, वाल्ट ह्विटमैन तथा फ्रांसीसी सर्वस्वीकृतिवादियों की भांति प्रबल व्यंग्यकार कवि कार्ल क्राउस,
पूर्वोक्त वादों से स्वतंत्र अस्तित्व रखनेवाले, किंतु पुराने रोमांसवादियों के अनुयायी कवियों में रिचर्ड क्रालिक, कार्ल फ़ान गिंज़के, रिचर्ड शाकल, धार्मिक कवयित्री ऐनरिका, हांडिल माज़ेटी, श्रीमती ऐरिका स्पान राइनिश और टिरोलीज़ कवि आर्थर वालपाख़, कार्ल डोलागो तथा हाइनरिश शूलर्न महत्वपूर्ण हैं।
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