"कंचनजंघा": अवतरणों में अंतर

छो कोष्टक से पहले खाली स्थान छोड़ा।
छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
पंक्ति 24:
'''कंचनजंघा''' नाम की उत्पत्ति तिब्बती मूल के चार शब्दों से हुयी है, जिन्हें आमतौर पर कांग-छेन-दजों-ङ्गा या यांग-छेन-दजो-ङ्गा लिखा जाता है। [[सिक्किम]] में इसका अर्थ '''विशाल हिम की पाँच निधियाँ ''' लगाया जाता है। [[नेपाल]] में यह कुंभकरन लंगूर कहलाता है।
== भौगोलिक स्थिति ==
यह विश्व तीसरा सबसे ऊंचा पहाड़ है। इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है। यह [[दार्जिलिंग]] से 74 की.मी. उत्तर -पश्चिमोत्तर में स्थित है। साथ ही यह [[सिक्किम]] व [[नेपाल]] की सीमा को छूने वाले [[भारतीय]] [[प्रदेश]] में [[हिमालय]] पर्वत श्रेणी का एक हिस्सा है। कंचनजंगा पर्वत का आकार एक विशालकाय सलीब के रूप में है, जिसकी भुजाएँ उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में स्थित है। अलग-अलग खड़े शिखर अपने निकटवर्ती शिखर से चार मुख्य पर्वतीय कटकों द्वारा जुड़े हुये हैं, जिनसे होकर चार हिमनद बहते हैं - जेमु (पूर्वोत्तर), तालूङ्ग (दक्षिण-पूर्व), यालुंग (दक्षिण-पश्चिम) और कंचनजंगा (पश्चिमोत्तर)।
 
== पौराणिक कथाओं में ==