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=='''इतिहास'''==
*प्राचीन काल से कथाकास, नृत्य के कुछ तत्वों के साथ महाकाव्यों और पौराणिक कथाओं से कहानियां सुनाया करते थे। कथाकास के परंपरा वंशानुगत थे। यह नृत्य पीढ़ी दर पीढ़ी उभारने लगा। तीसरी और चौथी सदियों के साहित्यिक संदर्भ से हमें इन कथाकास के बारे में पता चलता है। मिथिला के कमलेश्वर के पुस्तकालय में ऎसे बहुत साहित्यिक संदर्भ मिले थे।
*तेरहवी सदी तक इस नृत्य में निश्चित शैली में उभर आया था। स्मरक अक्षरों और बोल की भी तकनीकी सुविधाओं का विकास हो गई। भक्ति आंदोलन के समय
*मुगलों के युग में फ़ारसी नर्तकियों के सीधे पैर से नृत्य के कारण और भी प्रसिद्ध हो
इसके बाद समय के साथ इस नृत्य में बहुत सारी महत्वपूर्ण हस्ती के योगदान से बदलाव आए।
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* '''ठाट''', एक पारंपरिक प्रदर्शन जहां नर्तकी चक्कर के साथ नाटक कर सम पर आकर एक मुद्रा लेकर खड़ी होती है।
* '''आमद''', अर्थात 'प्रवेश' जो तालबद्ध बोल का पहला परिचय होता है।
* '''सलामी''',
* '''कवित्''', कविता के अर्थ को नृत्य में प्रदर्शन किया जाता है।
* '''पड़न''', एक नृत्य जहां केवल तबला का नहीं बल्कि पखवाज का भी उपयोग किया जाता है।
* '''परमेलु''', एक बोल या रचना जहां प्रकृति का प्रदर्शनी होता है।
* '''गत''', यहां दैनिक जीवन के सुंदर चाल-चलन दिखाया जाता है।
* '''लड़ी''',
* '''तिहाई''', एक रचना जहां फुटवर्क तीन बार दोहराया जाती है और सम पर नाटकीय रूप से समाप्त हो जाती है।
*'''नृत्य:''' भाव को मौखिक टुकड़े की एक विशेष प्रदर्शन शैली में दिखाया जाता है। मुगल दरबार में यह अभिनय शैली की उत्पत्ति हुई। इसकी वजह से यह महफिल या दरबार के लिए अधिक अनुकूल है ताकि दर्शकों को कलाकार और नर्तकी के चेहरे की अभिव्यक्त की हुई बारीकियों को देख
=='''घराना'''==
=== लखनऊ घराना ===
अवध के नवाब [[वाजिद आली शाह]] के दरबार में इसका जन्म
=== जयपुर घराना ===
राजस्थान के कच्छवा राजा के दरबार में इसका जन्म हुआ। शक्तिशाली फुटवर्क, कई चक्कर और विभिन्न ताल में जटिल रचनाओं के रूप में नृत्य के अधिक तकनीकी पहलुएँ यहाँ महत्वपुर्ण
=== बनारस घराना ===
जानकीप्रसाद ने इस घराने का प्रतिष्ठा किया
=== रायगढ़ घराना ===
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