"कार्ल मार्क्स": अवतरणों में अंतर

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|influences = [[जार्ज विल्हेम फ्रेडरिच हेगेल|हीगेल]], [[लुडविग फायरबाख|फायरबाख]], [[मैक्स स्टिर्नर|स्टिर्नर]], [[एडम स्मिथ]], [[डेविड रिकार्डो]], [[रूसो|ज्‍यां जैक रूसो]], [[योहान वुल्फगांग फान गेटे|गोथे]], [[चार्ल्स फौरियर|फौरियर]], [[मोसेस हेस्स]], [[लुइस मार्गन]], [[विलियम शेक्सपीयर]], [[चार्ल्स डार्विन]]
|influenced = [[रोज़ा लुक्सेम्बुर्ग|रोसा लक्समबर्ग]], [[व्लादिमीर लेनिन]], [[त्रोत्स्की|लियान त्रोत्स्की]], [[माओ त्से-तुंग]], [[चे ग्वेरा|चे ग्वेवारा]], [[ज्यां-पाल सार्त्र|ज्यां पाल सार्त्र]][[List of Marxists|many others]]
|notable_ideas = [[फ्रेडरिक एंगेल्स]] संग [[मार्क्सवाद]] का प्रतिपादन, [[अतिरिक्‍त मूल्य]], [[ऐतिहासिक भौतिकवाद]] |}}
 
'''कार्ल हेनरिख मार्क्स''' (1828 - 1883) जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद का प्रणेता। 5 मई, 1818 को त्रेवेस (प्रशा) एक [[यहूदी]] परिवार में उत्पन्न हुआ। 1824 में उसके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। 17 वर्ष की अवस्था में मार्क्स ने कानून का अध्ययन करने के लिए [[बॉन विश्वविद्यालय]] में प्रवेश किया। तत्पश्चात्‌ उसने बर्लिन और जेना विश्व-विद्यालयों में साहित्य, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। इसी काल में वह हीगेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुआ। 1839-41 में उसने [[दिमॉक्रितस]] और [[एपीक्यूरस]] के प्राकृतिक दर्शन पर शोघ-प्रबंध लिखकर डाक्टरेट प्राप्त की।
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== पूँजी ==
मेहनतकशों की तहरीक में एक नए तूफ़ान की पेशबीनी करते हुए मार्क्स ने कोशिश की कि अपनी अर्थशास्त्रीय रचनाएँ करने की रफ़्तार तेज़ कर दे। अठारह माह की ताख़ीर के बाद जब उस ने अपने अर्थशास्त्रीय अध्ययन का फिर से आग़ाज़ किया तो उस ने इस रचना को अज नए सिरे से तर्तीब देने का फ़ैसला किया।औरकिया। और उस को 1859 में प्रकाशित ''जुर क्रिटिक दर पोलिटिशेन एकानामी'' में हिस्से के रूप में ना छापा जाये, बल्कि ये एक अलग किताब हो। 1862 में उस ने ईल कजलमीन को मतला किया कि इस का नाम ''द कैपिटल'' और तहती नाम ''राजनीतिक अर्थव्यवस्था की आलोचना'' होगा। द कैपिटल इंतिहाई मुश्किल हालात में लिखी गई। अमरीकी ख़ानाजंगी की वजह से मार्क्स अपनी आमदनी का बड़ा ज़रीया खो चुका था।अबथा। अब वो न्यूयार्क के रोज़नामा द ट्रिब्यून के लिए नहीं लिख सकता था। उस के बाल बच्चों के लिए इंतिहाई मुश्किलों का ज़माना फिर आ गया।ऐसीगया। ऐसी सूरत-ए-हाल में अगर एंगलज़ की तरफ़ से मुतवातिर और बेग़रज़ माली इमदाद ना मिलती तो मार्क्स कैपिटल की तकमील ना कर सकता।
कैपिटल में कार्ल मार्क्स का प्रस्ताव है कि पूंजीवाद के प्रेरित बल श्रम, जिसका काम अवैतनिक लाभ और अधिशेष मूल्य के परम स्रोत के शोषण करने में है।