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{{ज्ञानसन्दूक भारत का प्रान्त
| प्रान्त का नाम = केरल <br /> കേരളം, केरळम् <br />
| मानचित्र = India_Kerala_locator_map.svg
| राजधानी = [[तिरुवनन्तपुरम]]
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केरल शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर विद्वानों में एकमत नहीं है। कहा जाता है कि "चेर - स्थल", 'कीचड' और "अलम-प्रदेश" शब्दों के योग से चेरलम बना था, जो बाद में केरल बन गया। केरल शब्द का एक और अर्थ है : - वह भूभाग जो समुद्र से निकला हो। समुद्र और पर्वत के संगम स्थान को भी केरल कहा जाता है। प्राचीन विदेशी यायावरों ने इस स्थल को 'मलबार' नाम से भी सम्बोधित किया है। काफी लबे अरसे तक यह भूभाग चेरा राजाओं के आधीन था एवं इस कारण भी चेरलम (चेरा का राज्य) और फिर केरलम नाम पडा होगा।
 
केरल की संस्कृति हज़ारों साल पुरानी है। इसके इतिहास का प्रथम काल 1000 ईं. पूर्व से 300 ईस्वी तक माना जाता है। अधिकतर महाप्रस्तर युगीन स्मारिकाएँ पहाड़ी क्षेत्रों से प्राप्त हुई। अतः यह सिद्ध होता है कि केरल में अतिप्राचीन काल से मानव का वास था।केरलथा। केरल में आवास केन्द्रों के विकास का दूसरा चरण संगमकाल माना जाता है। यही प्राचीन तमिल साहित्य के निर्माण का काल है। संगमकाल सन् 300 ई. से 800 ई तक रहा। प्राचीन केरल को इतिहासकार तमिल भूभाग का अंग समझते थे। सुविधा की दृष्टि से केरल के इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक कालीन - तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं।
* [[प्राचीन केरल]]
* [[मध्यकालीन केरल]]
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भारत के एक राज्य के रूप में केरल की आर्थिक व्यवस्था की अपनी विशेषताएँ हैं। मानव संसाधन विकास की आधारभूत सूचना के अनुसार केरल की उपलब्धियाँ प्रशंसनीय है। मानव संसाधन विकास के बुनियादी तत्त्वों में उल्लेखनीय हैं - भारत के अन्य राज्यों की तुलना में आबादी की कम वृद्धि दर, राष्ट्रीय औसत सघनता से ऊँची दर, ऊँची आयु-दर, गंभीर स्वास्थ्य चेतना, कम शिशु मृत्यु दर, ऊँची साक्षरता, प्राथमिक शिक्षा की सार्वजनिकता, उच्च शिक्षा की सुविधा आदि आर्थिक प्रगति के अनुकूल हैं।
 
वैश्वीकरण के प्रतिकूल प्रभाव ने कृषि तथा अन्य परम्परागत क्षेत्रों को बहुत कम कर दिया है।स्वातंत्र्यहै। स्वातंत्र्य पूर्व तिरुवितांकूर, कोच्चि, मलबार क्षेत्रों का विकास आधुनिक केरल की आर्थिक व्यवस्था की पृष्ठभूमि है। भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताएँ केरल की आर्थिक व्यवस्था को प्राकृतिक संपदा के वैविध्य के साथ श्रम संबन्धी वैविध्य भी प्रदान करती हैं। केरल में कृषि खाद्यान्न और निर्यात की जानेवाली फसलों के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। शासन व्यवस्था तथा व्यापार के कारण निर्यात की जानेवाली फसलों बढ़ोतरी हुई है। कयर (नारियल रेशा) उद्योग, लकडी उद्योग, खाद्य तेल उत्पादन आदि भी कृषि पर आधारित हैं
 
आधुनिक केरल की आर्थिक व्यवस्था में आप्रवासी केरलीयों का मुख्य योगदान है। केरल की आर्थिक व्यवस्था के सुदृढ आधार हैं - वाणिज्य बैंक, सहकारी बैंक, मुद्रा विनिमय व्यवस्था, यातायात का विकास, शिक्षा - स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में हुई प्रगति, शक्तिशाली श्रमिक आन्दोलन, सहकारी आन्दोलन आदि।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/केरल" से प्राप्त