छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
छो हलान्त शब्द की पारम्परिक वर्तनी को आधुनिक वर्तनी से बदला।
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== तिथिक्रम और संवत् का प्रयोग ==
अभिलेखों में तिथि और संवत् लिखने की प्रथा धीरे-धीरे प्रचलित हुई। प्रारंभ में भारत में स्थायी एवं क्रमबद्ध संवतों के अभाव में राजाओं के शासनवर्ष से तिथि गिनी जाती थी। फिर कतिपय महत्वाकांक्षी राजाओं और शासकों ने अपनी कीर्ति स्थायी करने के लिए अपने पदासीन होने के समय से संवत् चलाया जो उनके बाद भी प्रचलित रहा। फिर महान्महान घटनाओं और धर्मप्रवर्त्तकों एवं संत महात्माओं के जन्म अथवा निधनकाल से भी संवतों का प्रवर्तन हुआ। फलस्वरूप अभिलेखों में इनका प्रयोग होने लगा। तिथियों के अंकन में दिन, वार, पक्ष, मास और संवत् का उल्लेख पाया जाता है।
 
== ऐतिहासिक अभिलेख ==