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[[चित्र:Khudiram Bose.jpg|thumb|right|150px|ज्वलन्त युवा क्रान्तिकारी '''खुदीराम बोस''' का रेखाचित्र]]
 
'''खुदीराम बोस''' ([[बांग्ला]]: ক্ষুদিরাম বসু, [[अंग्रेजी]]: Khudiram Bose, [[मलयालम]]: ഖുദീരാം ബോസ്, [[मराठी]]: खुदीराम बोस, [[जन्म]]: १८८९ - [[मृत्यु]] : १९०८) भारतीय स्वाधीनता के लिये मात्र १९ साल की उम्र में [[हिन्दुस्तान]] की आजादी के लिये फाँसी पर चढ़ गये। कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि खुदीराम से पूर्व १७ जनवरी १८७२ को ६८ कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय १३ वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था। उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नम्बर ५०वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने [[लुधियाना]] के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढी कसकर पकड ली और तब तक नहीं छोडी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गये बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था। (देखें सरफरोशी की तमन्ना भाग ४ पृष्ठ १३)
 
== जन्म व प्रारम्भिक जीवन ==