"गुरुत्वाकर्षण": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 7:
लीलावती ने कहा फिर भी यह प्रश्न बना रहता है पिताजी कि पृथ्वी किस चीज पर टिकी है?
तब भास्कराचार्य ने कहा, क्यों हम यह नहीं मान सकते कि पृथ्वी किसी भी वस्तु पर आधारित नहीं है।..... यदि हम यह कहें कि पृथ्वी अपने ही बल से टिकी है और इसे गुरुत्वाकर्षण शक्ति कह दें तो क्या दोष है?
इस पर लीलावती ने पूछा यह कैसे संभव है। तब भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है।
पंक्ति 37:
तथा सुर्य उन कच्छाओ के फोकस पर होत है।
द्वितीय नियम - किसी भी ग्रह को सुर्य से मिलने वलि रेखा समान समय मे समन छेत्रफल पार करती
अर्थात जब ग्रह सुर्य से दुरस्त होता है तो उसकी चाल न्युतम होती है।
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