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'''''गो गोआ गॉन''''' ज़ॉम्बीज़ पर बनी राज निदिमोरु और कृष्णा डीके द्वारा निर्देशित और [[सैफ़ अली ख़ान]], [[कुणाल खेमू]], [[वीर दास]], [[पूजा गुप्ता]] एवं आनंद तिवारी अभिनीत [[बॉलीवुड]] की 2013 फ़िल्म है। यह 10 मई 2013 को जारी की गयी और समीक्षकों से मिश्रित समीक्षाएं प्राप्त कर पायी, जिसने टिकट-खिडकी पर औसत से अच्छा धन अर्जित किया। गो गोआ गॉन को इसकी कटोर भाषा (अभिशाप्त शब्दों) के कारण 'व' प्रमाण पत्र मिला।<ref>{{cite web|author=TNN Mar 25, 2013, 12.00AM IST |url=http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-03-25/news-interviews/38008749_1_zombie-film-saif-ali-khan-vir-das |title=Go Goa Gone: सैफ़ अली ख़ान turns a zombie hunter |publisher=The Times of India |date=2013-03-25 |accessdate=2013-07-14}}</ref>
== पटकथा ==
हार्दिक ([[कुणाल खेमू]]), लव (वीर दास) और बनी (आनंद तिवारी) रेव पार्टी मनाने के लिए एक द्वीप में जाते हैं। यहां लव की मुलाक़ात लूना ([[पूजा गुप्ता]]) से होती है। लूना भी अपने दोस्तों के साथ पार्टी मनाने यहां आई हुई है। वहां पर एक खास किस्म की ड्रग्स खाकर कई लोग मर जाते हैं और जॉम्बी (नीरस व्यक्ति जिन पर किसी जादू का प्रभाव हो) बन जाते हैं। दरअसल ज़ॉम्बीज़ वो लोग होते हैं जिनके दिमाग़ का एक छोटा सा हिस्सा मरने के बाद भी काम करता रहता है, जिसकी वजह से ये लोग चहलकदमी करते नज़र आते हैं। हार्दिक, लव और बनी ड्रग नहीं लेते और ज़िंदा बच जाते हैं। ज़ॉम्बीज़ उनका पीछा करते हैं। लूना के भी दोस्त जॉम्बी बन चुके हैं। वो चारों किसी तरह से जॉम्बीज़ से बचना चाहते हैं, क्योंकि अगर किसी जॉम्बी ने उनमें से किसी एक को भी काट लिया तो वो भी जॉम्बी बन जाएगा। उनके लिए सहारा बनकर आता है बोरिस ([[सैफ़ अली ख़ान]]) और उसका एक दोस्त जिन्हें मालूम है कि ज़ॉम्बी को कैसे मारा जाता है। और इस प्रकार कथा आगे बढ़ती है।