"गोविन्द बल्लभ पन्त": अवतरणों में अंतर

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== संक्षिप्त जीवनी ==
१० सितम्बर १८८७ को अल्मोड़ा जिले के श्यामली पर्वतीय क्षेत्र स्थित [[गाँव]] खोंत में जन्मे गोविन्द वल्लभ पन्त की माँ का गोविन्दी और पिता का नाम मनोरथ पन्त था। बचपन में पिता की म्रत्यु हो जाने के कारण उनकी परवरिश उनके दादा बद्री दत्त जोशी ने की।१९०५की। १९०५ में उन्होंने अल्मोड़ा छोड़ दिया और इलाहाबाद चले गये। म्योर सेन्ट्रल कॉलेज में वे गणित, साहित्य और राजनीति विषयों के अच्छे विद्यार्थियों में सबसे तेज थे। अध्ययन के साथ-साथ वे कांग्रेस के स्वयंसेवक का कार्य भी करते थे। १९०७ में बी०ए० और १९०९ में कानून की डिग्री सर्वोच्च अंकों के साथ हासिल की। इसके उपलक्ष्य में उन्हें कॉलेज की ओर से "लैम्सडेन अवार्ड" दिया गया।
 
१९१० में उन्होंने अल्मोड़ा आकर वकालत शूरू कर दी। वकालत के सिलसिले में वे पहले [[रानीखेत]] गये फिर [[काशीपुर]] में जाकर प्रेम सभा नाम से एक संस्था का गठन किया जिसका उद्देश्य शिक्षा और साहित्य के प्रति जनता में जागरुकता उत्पन्न करना था। इस संस्था का कार्य इतना व्यापक था कि ब्रिटिश स्कूलों ने काशीपुर से अपना बोरिया बिस्तर बाँधने में ही खैरियत समझी। दिसम्बर १९२१ में वे गान्धी जी के आह्वान पर [[असहयोग आन्दोलन]] के रास्ते खुली राजनीति में उतर आये।