"मराठी साहित्य": अवतरणों में अंतर

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== आधुनिक काल ==
=== १८७४-१९२९ ===
हरिनारायण आपटे ने ऐतिहासिक उपन्यासों द्वारा भूतकालीन घटनाओं को बड़े ही सुंदर ढंग से चित्रित किया, तथा सामाजिक उपन्यासों द्वारा स्त्रियों के दु:खी जीवन का हृदयद्रावक चित्र भी खींचा। श्री अण्णा साहेब किर्लोस्कर ने 1880 में शाकुंतल नाटक लिखकर आधुनिक मराठी रंगभूमि की नींव डाली। इन्हीं की परंपरा में गोदृ ददृ देवल ने सबसे पहले प्रभावोत्पादक नाटक लिखकर नाट्य साहित्य को नई दिशा प्रदान की। 1885 से केशवसुत नामक कवि ने काव्यक्षेत्र में नए युग की स्थापना की। ऐतिहासिक सुख में विश्वास, अकृत्रिम प्रेम तथा आत्मनिष्ठा इत्यादि गुण इन कविताओं का वैशिष्ट्य रहा। इनके बाद तिलक, बीदृ गोविदाग्रज, बालकवि चंद्रशेखर, तांबे इत्यादि कवियों ने मराठी कविताओं का सौंदर्य की सामथ्र्य और अधिक बढ़ाया। सावरकर तथा गोविंद ने राष्ट्रीय भावनाओं का उद्दीपन करनेवाली कविताएँ लिखीं। इतिहासाचार्य राजवाडे ने मराठी इतिहास के संशोधन की परंपरा का निर्माण किया। खरेशास्त्री, साने, पारनीस आदि इतिहासज्ञों ने इतिहालेखन के साधनों की महत्वपूर्ण खोज करने का प्रयत्न किया। लोकमान्य बाल गंगा जी तिलक की ओजस्वी विचारधारा के आधार पर खाडिलकर ने उत्कृष्ट पौराणिक एवं ऐतिहासिक नाटकों का निर्माण किया। इसी समय रामगणेश गडकरी ने अपनी लोकोत्तर प्रतिभा से करुण एवं हास्य रस का उत्तम चित्रण किया। श्रीकृष्ण कोल्हाटकर ने अपने हास्यपूर्ण लेखों द्वारा सामाजिक आचार विचार में दिखलाई पड़नेवाली त्रुटियों को सर्वमान्य जनता के सामने ला रखा। लोकमान्य तिलक, आगरकर, परांजपे, नरसिंह, चिंतामणि केलकर आदि प्रसिद्ध लेखक इसी समय देश में विचारजाग्रति का महान्महान कार्य कर रहे थे। लोकरंजन की अपेक्षा विविध विषयों के ज्ञानभंडार की पूर्ति को अधिक महत्वपूर्ण मानक साहित्यनिर्माण का कार्य किया गया।
 
=== १९२०-१९४५ ===