"घना पक्षी अभयारण्य": अवतरणों में अंतर
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ब्रज की पौराणिक काल से चली आ रही 'चौरासी कोस परिक्रमा' का ही भाग है भरतपुर, जहाँ की अधिकांश भूमि समतल मैदानी है, पर चार प्रमुख नदियों- रूपारेल, बाणगंगा, गंभीरी और पार्वती के कारण इसका कुछ हिस्सा दलदली/कछारी भी है और घना के विकास में इन बरसाती जल स्रोतों का बड़ा हाथ है।
भरतपुर जिले की उत्तरी सीमाएं हरियाणा के फरीदाबाद, दक्षिण में उत्तर प्रदेश के आगरा और धौलपुर, पश्चिम में करौली अलवर और दौसा जिलों से मिलती हैं। यहां की झीलों और बांधों- मोतीमहल, साही बांध, बारेन बाँध के अलावा बयाना तहसील के बांध बारेठा के आसपास स्वाभाविक तौर पर पक्षियों का निवास है। ९० किलोमीटर दूर करौली जिले के पांचना बांध से भी अभयारण्य को नियमित या अनियमित तौर पर जलापूर्ति की जाती रही है। मिट्टी आम तौर पर कछारी है। 27°10'उत्तर और 77°31'पूर्व के बीच स्थित यह अभयारण्य लगभग २९ वर्गकिलोमीटर में फैला हुआ है। साल भर सिर्फ एक से दो मीटर गहरा झील का पानी झील के सिर्फ १० वर्ग किलोमीटर में रहता है, पर इतने पानी से ही उत्पन्न जलीय वनस्पतियां मछलियों की बहुत बड़ी तादाद पैदा करती है, जिन्हें अपना भोजन बनाने के लिए कई प्रजातियों के जल-पक्षी अपना स्थाई डेरा इस अभयारण्य को बनाना पसंद करते हैं। हाँ, चिलचिलाती गर्मियों में घना का जंगल पूरा सूख जाता है, तब ट्यूबवेलों का सहारा लिया जाता है। परिंदों के दिन ग्रीष्म ऋतु में मुश्किल से निकलते हैं, पर वर्षा के आगमन के साथ ही रौनकें लौट आती हैं और सारा वन, एक दफा फिर पक्षियों की कलरव से गूंजने लगता है!
== जलवायु ==
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