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जालंधर दैत्य के अनुचर शुंभ को वसुओं ने ही मारा था। [[भागवत]] में कालकेयों से इनके युद्ध का वर्णन है। [[स्कंदपुराण]] के अनुसार महिषासुरमर्दिनी [[दुर्गा]] के हाथों की उँगलियों की सृष्टि अष्टवसुओं के ही तेज से हुई थी।
 
पितृशाप के कारण एक बार वसु लोगों को गर्भवास भुगतना पड़ा। फलस्वरूप उन्होंने [[नर्मदा]]तीर जाकर १२ वर्षों तक घोर तपस्या की। पश्चात् भगवान्भगवान [[शंकर]] ने इन्हें वरदान दिया। तदनंतर वसुओं ने वही शिवलिंग स्थापित करके स्वर्गगमन किया।
 
वसु नाम के अनेक वैदिक एवं पौराणिक व्यक्तियों का उल्लेख आया है। उत्तानपाद, नृग, सुमति, वसुदेव, कृष्ण, ईलिन्, भूतज्योति, हिरण्यरेतस्, पुरूरवस्, वत्सर, कुश आदि राजाओं के पुत्रों के नाम भी यही थे। इनके अतिरिक्त सावर्णि मनु, स्वायंभुव मनु, इंद्र, वसिष्ठ ऋषि, मुर दैत्य, भृगवारुणि ऋषि के पुत्र भी वसु नामधारी थे।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/वसु" से प्राप्त