"सायण": अवतरणों में अंतर

छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी।
छो हलान्त शब्द की पारम्परिक वर्तनी को आधुनिक वर्तनी से बदला।
पंक्ति 1:
'''सायण''' या आचार्य सायण (चौदहवीं सदी, मृत्यु १३८७ इस्वी) [[वेद|वेदों]] के सर्वमान्य [[भाष्य|भाष्यकर्ता]] थे। सायण ने अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया है, परंतु इनकी कीर्ति का मेरुदंड वेदभाष्य ही है। इनसे पहले किसी का लिखा, चारों वेदों का भाष्य नहीं मिलता। ये विजयनगर साम्राज्य के सेनापति एवम्एवं अमात्य २४ वर्षों तक रहे (१३६४-१३८७ इस्वी)। योरोप के प्रारंभिक वैदिक विद्वान तथा आधुनिक भारत के [[श्री अरोबिंदो]] तथा [[श्रीराम शर्मा आचार्य]] भी इनके भाष्य के प्रशंसक रहे हैं। [[यास्क]] के वैदिक शब्दों के कोष लिखने के बाद सायण की टीका ही सर्वमान्य है।
 
== जीवनी ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सायण" से प्राप्त