"चुनार": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: डॉट (.) के स्थान पर पूर्णविराम (।) और लाघव चिह्न प्रयुक्त किये।
छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
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वर्ष 1531 में बाबर के बेटे हुमायूं ने शेरशाह के कब्जे से चयक करने के लिए उत्तर प्रदेश में चुनारगढ़ किले का प्रयास किया। लेकिन वह बुरी तरह से हार गया था। काफी समय बाद 1574 में सम्राट अकबर ऩे चुनारगढ़ किले पर कब्जा कर लिया जब शेर शाह सूरी का निधन हो गया। उत्तर प्रदेश में चुनारगढ़ फोर्ट मुगल सम्राटों के कब्जे के तहत 1772 तक था लेकिन बाद में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी मुगलों से उत्तर प्रदेश में चुनारगढ़ किले पर कब्जा कर लिया।
 
उत्तर प्रदेश में चुनारगढ़ किले के स्थापत्य शैली के ठीक एक मिश्रण को दर्शाता है। चुनारगढ़ किला उत्तर प्रदेश के अंदर प्रभावशाली संरचनाये आ गये है। वहाँ आज मृत धूपघड़ी, शायद राजा विक्रमादित्य के पर्यवेक्षण के अंतर्गत निर्माण किया है।चुनारगढ़है। चुनारगढ़ किला गंॱगा नदि के किनारे बसा हूआ है।
 
चुनार आज भी चीऩी मिटी के बर्तनो और खिलोनो के लिये काफी प्रसिद है।
 
चुनारगढ़ से ३० कि० कि दूरी पर नरायनपुर नामक एक कस्बा है।जोहै। जो कि येसिया के सबसे बदे पम्प नहर के लिये प्रसिद है। चुनार एक विधान सभा क्षेत्र है, यहाँ से १५किमी की दूरी पर "कोलना" नामक एक गांव है जहा पर आज भी जमींदार मौजूद हैं जिनका निवास स्थान दरबार के नाम से जाना जाता है।
 
यहां एक प्राचीन मंदिर है जिसके निर्माण में केवल पत्थर का प्रयोग किया गया है जिस पर चित्र को भी उकेरा गया है जो देखने लायक है। यह मंदिर भगवान राम सीता को समर्पित है।
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