"स्कैंडिनेवियाई भाषाएँ": अवतरणों में अंतर
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== आइसलैंड का साहित्य ==
प्राचीन आइसलैंडिक साहित्य अंशत: काव्यमय (भाटों का काव्य और एड़ा महाकाव्य) तथा अंशत: गद्यरूप (लोगों और उनके रिश्तेदारों के वृत्तांत, कहानियाँ, पौराणिक कथाएँ) है। सामान्य छंद में लिखे हुए अनुप्रासयुक्त से 800 से 1200 ई. की अवधि में प्राचीन एड़ा महाकाव्य निर्मित हुआ है। तेरहवीं शताब्दी के प्रारंभ की इसकी हस्तलिखित प्रति प्राप्त है। एड़ा महाकाव्य का विषय अंशत: प्राचीन नॉडिक देवताओं और अंशत: महावीरों से संबंधित है। महावीरों से संबंधित काल में जर्मन आक्रमणकाल के साहित्य के अंश बचे हैं। "हावामाल" में पुराने पांडित्य की रक्षा की गई है। आइसलैंड में प्राय: 1000 ई. के थोड़े पहले लिखा हुआ "वोलुप्सा" तेजस्वी महाकाव्य है। इसमें पृथ्वी के आरंभ और उसके नाश का विषय वर्णित है। प्राचीन एड़ा महाकाव्य का कुछ अंश नॉर्वे में लिखा गया और कुछ ग्रीनलैंड से प्राप्त है। भाट लोग विशेषत: राजदरबार से संबंधित थे और उनका काव्य महाराजाओं के रणसंग्राम के विषय में है। एगिल स्कालाग्रिमसन नॉर्डिक साहित्य का प्रथम मुख्य कवि (सोनातोरेक काव्य की वजह से) समझा जाता है। भाटों का काव्य अनेक काव्यमय वर्णनों से युक्त होने से बहुत ही सुंदर लगता है। यह बहुधा प्राचीन देवताओं की कथाओं की ओर संकेत करता है। तेरहवीं शताब्दी में आइसलैंड के क्रिस्तानी लोगों को यह काव्य समझने के लिए पौराणिक पाठ्यपुस्तकों की आवश्यकता पड़ी। इस तरह की एक रचना है "स्नोरे स्तुर्लुसन" (178-1241) का लिखा महाकाव्य जिसमें शक्तिमान् देवता "तोर" द्वारा राक्षसों के देश की यात्राओं और धूर्त "लोके" तथा खूबसूरत "फ्रेया" का वर्णन उत्साहपूर्ण शैली में है। स्नोरे प्राचीन आइसलैंड के गद्य साहित्य का प्रमुख लेखक समझा जाता है। उसने नवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक के महाराजाओं की कथाएँ लिखी हैं। दूसरे लोगों और रिश्तेदारों के बारे में लिखी हुई कथाओं में एअरबिज्या, लाक्सडोएला और न्याल की कथा, इत्यादि उल्लेखनीय हैं। इन कथाओं में लिखी हुई घटनाएँ 1000 ई. के आसपास की हैं किंतु उनको लिखित रूप सौ साल के बाद मिला। इनके ऐतिहासिक मूल्य पर अभी तक वादविवाद चल रहा है। चौदहवीं शताब्दी से आइसलैंड के साहित्य का अंत होने लगा। ब्यार्नी थोरारिनसन और यनास हालाग्रिमसन जैसे
== नॉर्वेजिअन साहित्य ==
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