"चैतन्य महाप्रभु": अवतरणों में अंतर
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== अध्यात्म ==
लोग चैतन्य को भगवान श्रीकृष्ण का अवतार मानते हैं। इसके कुछ संदर्भ प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में भी मिलते हैं।<ref name = "जागरण "/> श्री गौरांग अवतार की श्रेष्ठता के प्रतिपादक अनेक ग्रन्थ हैं। इनमें श्री [[चैतन्य चरितामृत]], श्री [[चैतन्य भागवत]], श्री [[चैतन्य मंगल]], [[अमिय निमाइ चरित]] और [[चैतन्य शतक]], आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। गौरांग की स्तुति में अनेक महाकाव्य भी लिखे गए हैं।
इनका लिखा कोई ग्रन्थ या पाठ नहीं उपलब्ध है। मात्र आठ श्लोक ही उपलब्ध हैं।<ref name = "सहित्य संग्रह "/> इसे [[शिक्षाष्टक]] कहते हैं। किंतु गौरांग के विचारों को श्रीकृष्णदास ने ‘चैतन्य-चरितामृत में संकलित किया है। बाद में भी समय समय पर रूप जीव और सनातन गोस्वामियों ने अपने-अपने ग्रन्थों में चैतन्य-चरित-प्रकाश किया है। इनके विचारों का सार यह है कि:-
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