"ज्यां-पाल सार्त्र": अवतरणों में अंतर

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अपने काम के बारे में वे सन्तुष्टि के साथ स्वीकारते हैं कि जो उन्हें कहना था, वे कह चुके, उन्हें कोई आश्चर्य या पछतावा नहीं है। अपने पत्र Les Temps Moderens के लिए वे बिल्कुल अन्तिम दिन तक काम करते रहे।
 
सार्त्र की अन्तिम स्थिति का चित्रण सिमोन ने मार्मिक ढंग से किया है। बुधवार, मार्च 19,1980 की शाम उन्होंने बड़ी अच्छी तरह गुज़ारी। लेकिन रात को ही उनका सांस उखड़ गया। उन्हें ब्रोसाई के हस्पताल ले जाया गया। उसके बाद वे घर वापिस नहीं आ सके। उन्हें यूरीमिया हो गया था क्योंकि उनके गुर्दे काम करना बन्द हो गये थे।शरीरथे। शरीर के और हिस्से भी शिथिल पड़ते गये। सिमोन और Arlette (उनकी मुँह बोली बेटी आर्लेट) बारी-बारी उनके पास बने रहते थे। मृत्यु से दो दिन पहिले सिमोन ने बहुत निराशा में डाक्टर की छाती से लग कर रोते हुए कहा ''वायदा करो, सार्त्र को पता नहीं लगने दोगे कि वे मर रहे हैं। उन्हें मानसिक यातना से बचा कर रखोगे और उन्हें कोई दर्द नहीं होने दोगे।'' मृत्यु से एक दिन पहिले सार्त्र ने सिमोन का हाथ थाम कर कहा 'मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ Castor'। वे सिमोन को Castor कह कर बुलाया करते थे। अपने होठों से इशारा कर के उन्होंने सिमोन को चूमा। 15 अप्रैल रात को नौ बजे आर्लेट का सिमोन को फोन आया कि सार्त्र नहीं रहे। अगली सुबह सिमोन सार्त्र के मृत शरीर के साथ चादर हटा कर कुछ देर को लेटी रही। सार्त्र की इच्छा थी कि उन का दाह संस्कार किया जाए। परन्तु उनके शरीर को पहले मोन्टपारनेस में दफ़नाया गया। कुछ दिन बाद उनके शरीर को कब्र से निकाल कर दाह संस्कार के लिए ले जाया गया। पचास हज़ार से अधिक व्यक्ति उनकी शव यात्रा में शामिल थे। एक दार्शनिक, उपन्यासकार, नाटककार और एक सामाजिक सक्रिय कर्मी का अन्त उस नाटक के अन्त की तरह था जिस का हर दृश्य एक रोचक अपेक्षा के साथ खुलता था। रूसो, कान्त, हीगेल और मार्क्स की अगली कड़ी थे सार्त्र या मार्क्सवाद के विशाल भवन का ही एक छोटा सा कक्ष या सिर्फ़ शुद्ध अस्तित्ववादी जिन्होंने घटनाओं की आंधियों का सामना करने के लिए समाजवादी कवच पहन लिया था। इस बात का फैसला वक्त के हाथ में है।
 
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