"दिक्-काल": अवतरणों में अंतर

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== भारतीय धर्म-दर्शन में दिक्-काल की अवधारणा ==
क्व भूतं क्व भविष्यद् वा वर्तमानमपि क्व वा | क्व देशः क्व च वा नित्यं स्वमहिम्नि स्थितस्य मे ||१९- ३||<ref>अष्टावक्र गीता, भाग १९, श्लोक ३</ref>
:अष्टावक्र गीता राजा जनक और इनके गुरु अष्टावक्र के बीच हुए संवाद है, जिसके परिणाम स्वरूप राजा जनक को परमज्ञान की प्राप्ति हुई। भाग१९ में परमज्ञान प्राप्ति के बाद अपने अनुभव व्यक्त करते हुए भौतिक जगत की विभिन्न अवधारणाओं से मुक्ति की घोषणा करते हुए, दिक् व काल को एक ही साथ वर्णित किया हैं।
 
देशकालविमुक्तोअस्मि दिगम्बरसुखोअस्म्यहम्| नास्ति नास्ति विमुक्तोअस्मि नकाररहितोअस्म्यहम् ||<ref>मैत्रेय्युपनिषद, अध्याय ३, श्लोक १९</ref>