"जगन्नाथदास रत्नाकर": अवतरणों में अंतर
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जगन्नाथ दास ''रत्नाकर''(सं. १९२३ वि. - सं. १९८९ वि.) का जन्म सं. १९२३ में काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री पुरुषोत्तम दास फारसी के एक अच्छे विद्वान थे। अतः रत्नाकर जी को शिक्षा का आरंभ फारसी से घर पर ही हुआ। आगे चलकर उन्होंने बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। रत्नाकर जी अयोध्या नरेश के प्राइवेट सेक्रेटरी नियुक्त हुए। अयोध्या नरेश की मृत्यु के उपरांत रत्नाकर जी महारानी के प्राइवेट सेक्रेटरी हुए और आजीवन इसी पद पर कार्य करते रहे। रत्नाकर जी को कविता के प्रति प्रेम बचपन से ही था। [[भारतेंदु हरिश्चंद्र]] ने उनके कवि होने की भविष्यवाणी की थी जो पूर्ण सत्य सिद्ध हुईं। उनके गंगावतरण काव्य पर उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हुए। साहित्यकार के रूप में रत्नाकर जी ने यथेष्ट सम्मान प्राप्त कर लिया था। उन्होंने [[माधुरी पत्रिका]] का संपादन किया,<ref>{{cite web |url= http://patrikayen.blogspot.com/|title= हिन्दी पत्रिकाएँ |accessmonthday=[[२३ अक्तूबर]]|accessyear=[[2008]]|format= एचटीएमएल|publisher= पत्रिकाएँ|language=}}</ref> और वे [[हिंदी साहित्य-सम्मेलन]] के कलकत्ता-अधिवेशन के सभापति भी रहे।<ref>{{cite web |url= http://hindustaniacademy.blogspot.com/2008_09_01_archive.html|title= प्रयाग में ऐतिहासिक हिन्दी संस्थाएं भाग - २|accessmonthday=[[२३ अक्तूबर]]|accessyear=[[2008]]|format= एचटीएमएल|publisher= हिन्दुस्तानी अकादमी|language=}}</ref> संवत १८८९ में [[हरिद्वार]] में आपका परलोकवास हो गया।
==कृतियाँ==
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