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[[चित्र:Meshed ali usnavy (PD).jpg|thumb|230px|इमाम अली मस्जिद]]
'''नजफ़''' ([[अरबी]]: النجف,
== इतिहास ==
''अली इब्न अबि तालिब'', यान [[अबि तालिब]] के बेटे अली, जिनको सुन्नी मुस्लिम चौथे ख़लीफ़ा मानते हैं और शिया प्रथम इमाम को अपने जीवन काल में ही जान का ख़तरा था। उनके पहले दो ख़लीफ़ाओं की हत्या कर दी गई थी - अपनी कब्र के साथ ऐसी ही आशंका को देखकर उन्होंने अपनी लाश को एक गुप्त स्थान पर दफ़नाने की इच्छा ज़ाहिर की थी। इस कारण सन् 661 में उनके मरने के बाद विश्वस्त लोगों ने ऊँट पर उनका शव लाद कर एक अनिश्चित स्थान पर ले गए जहाँ ऊँट बैठ गया। इसी जगह पर बिना किसी मज़ार के उनकी लाश को दफ़ना दिया गया। आठवीं सदी में जब मुस्लिम शासन की बागडोर [[अब्बासी]] ख़लीफ़ाओं के हाथ गई तो हारुन रशीद को इस स्थान के बारे में पता चला तो वहाँ एक मज़ार बना दी गई। [[इमाम अली मस्जिद]] शिया मुसलमानों के लिए [[करबला]] के बाद सबसे अधिक प्रतीकात्मक स्थल बन गया है।
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