"पूर्णागिरी": अवतरणों में अंतर

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== स्थिति ==
यह स्थान टनकपुर से मात्र १७ कि.मी. की दूरी पर है। अन्तिम १७ कि.मी. का रास्ता श्रद्धालु अपूर्व आस्था के साथ पार करते हैं। नेपाल इसके बगल में है।समुद्रहै। समुद्र तल से ३००० मीटर की ऊचाई पर स्थित है। पूर्णागिरी मन्दिर टनकपुर से २० कि॰ मी॰, पिथौरागढ से १७१ कि॰मी॰ और चम्पावत से ९२ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। पूर्णागिरी मे वर्ष भर तीर्थयात्रियो का भारत के सभी प्रान्तो से आना लगा रहता है। विसेशकर नवरात्री (मार्च-अप्रिल) के महीने मे भक्त अधिक मात्रा मे यहा आते है। भक्त यहा पर दर्शनो के लिये भक्तिभाव के साथ पहाड पर चढाई करते है। पूर्णागिरी पुण्यगिरी के नाम से भी जाना जाता है। यहा से काली नदी निकल कर समतल की ओर जाती है वहा पर इस नदी को शारदा के नाम से जाना जाता है। इस तीर्थस्थान पर पहुचने के लिये टनकपुर से ठूलीगाड तक आप वाहन से जा सकते हैं। ठूलीगाड से टुन्यास तक सडक का निर्माण कार्य प्रगति पर होने के कारण पैदल ही बाकी का रास्ता तय करना होता है। ठूलीगाड से बांस की चढाई पार करने के बाद हनुमान चट्टी आता है। यहां से पुण्य पर्वत का दक्षिण-पश्चिमी हिस्सा दिखने लगता है। यहां से अस्थाई बनाई गयी दुकानें और घर शुरू हो जाते हैं जो कि टुन्यास तक मिलते हैं। यहा के सबसे ऊपरी हिस्से (पूर्णागिरी) से काली नदी का फैलाव, टनकपुर शहर और कुछ नेपाली गांव दिखने लगते हैं। यहां का द्रश्य बहुत ही मनोहारी होता है। पुराना ब्रह्मदेव मण्डी टनकपुर से काफी नज़दीक है।