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== [[नया नियम]] ==
ये [[ईसा मसीह]] के बाद की है, जिसे ईसा के शिष्यों ने लिखा था। इसमें ईसा (यीशु) की जीवनी, उपदेश और शिष्यों के कार्य लिखे गये हैं। इसकी मूलभाषा कुछ [[अरामी]] और अधिकतर बोलचाल की प्राचीन [[ग्रीक]] थी। इसमें ख़ास तौर पर चार [[शुभसंदेश]] (सुसमाचार) हैं जो ईसा की जीवनी का उनके चार शिष्यों द्वारा वर्णन है : मत्ती, लूका, युहन्ना और मरकुस।
 
== यहूदी बाइबिल ==
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=== पूर्वविधान की सामग्री ===
* (1) ऐतिहासिक ग्रंथ पेंतातुख, जोसुए अथवा यहोशू, न्यायाधीश, रूथ, सामुएल, राजा, पुरावृत्त (पैरालियोमेनोन), एज्रा (एस्ट्रास), नेहेमिया, एस्तर, तोबियास, यूदिथ, मकाबी।
* (2) शिक्षाप्रधान ग्रंथ - इययोव, भजनसंहिता, नीतिवचन, उपदेशक (एल्केसिआस्तेस) श्रेष्ठगीत, प्रज्ञा, एल्केसियास्तिकस अथना सिराह।
* (3) नबियों के ग्रंथ : यशयाह, जेरेमिया, विलापगीत, बारूह, ऐजेकिएल, अथवा यहेजकेल, दानिएल और बारह गौण नबी अर्थात् ओसेआ अथवा होशे, जोएल, योएल आमोस, ओबद्याह, योना, मिकेयाह, नाहूम, हाबाकुक, सोफ़ोनिया, हग्गै, जाकारिआ, मलाकी
 
=== नवविधान की सामग्री ===
नवविधान के प्रथम पाँच ग्रंथ ऐतिहासिक हैं अर्थात् चारों सुसमाचार (गास्पैल) तथा ऐक्ट्स आव दि एपोसल्स (ईसा) के पट्ट शिष्यों के कार्य। अंतिम ग्रंथ एपोकालिप्स (प्रकाशना) कहलाता है। इसमें सुसमाचार लेखक संत योहन प्रतीकात्मक शैली में चर्च के भविष्य तथा मुक्तिविधान की परिणति का चित्र अंकित करते हैं। नवविधान के शेष 21 ग्रंथ शिक्षा प्रधान हैं, अर्थात् संत पाल के 14 पत्र, संतपीटर के दो पत्र, सुसमाचार लेखक संत योहन के तीन पत्र, संत याकूब और संत जूद का एक एक पत्र। संत पाल के पत्र या तो किसी स्थानविशेष के निवासियों के लिए लिखे गए हैं (कोरिंथियों तथा थेस्सालुनीकियों के नाम दो दो पत्र; रोमियों, एफिसियों, फिलिपियों और कुलिसियों के नाम एक एक पत्र) या किसी व्यक्तिविशेष को (तिमोथी के नाम दो और तितुस तथा फिलेमोन के नाम एक एक पत्र)। इब्रानियों के नाम जो पत्र बाइबिल में सम्मिलित हैं, इनकी प्रामाणिकता के विषय में संदेह नहीं है किंतु संत पाल के विचारों से प्रभावित होते हुए भी इनका लेखक कोई दूसरा ही होगा।
 
बाइविल के प्रामाणिक ग्रंथों की उपर्युक्त सूची में से पूर्वविधान के कुछ ग्रंथ इब्रानी बाइबिल में सम्मिलित नहीं थे, अर्थात् तोबियास, यूदिथ, मकाबी, प्रज्ञा सिराह और दानिएल एवं एस्तेर के कुछ अंश। यहूदी और बहुत से प्रोटेस्टैंट संप्रदाय इन ग्रंथों को अप्रमाणित मानकर अपनी बाइबिल में स्थान नहीं देते।