"बिहार का मध्यकालीन इतिहास": अवतरणों में अंतर
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उत्तर बिहार का क्षेत्रीय भाग-यह भाग उत्तर बिहार का था जो तिरहुत क्षेत्र में पड़ता था जिसमें [[मिथिला]] राज्य प्रमुख था।
दोनों क्षेत्रीय भाग में कोई मजबूत शासक नहीं था। और सभी क्षेत्रो में छोटे-छोटे राजा/सामन्त स्वतन्त्र सत्ता स्थापित कर चुके थे। चाल वंशीय शासन व्यवस्था भी धीरे-धीरे बिहार में कमजोर होती जा रही
== पाल वंश ==
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== ममलूक वंश ==
बख्तियार खिलजी की मृत्यु (१२०६ ई.) के बाद अलीमर्दन बिहार का कार्यकारी शासक बना। इसके बाद हस्युयद्दीन इवाज खिलजी ने गयासुद्दीन तुगलक (१२०७-२७ ई.) के नाम से लखनौती में स्वतन्त्र सत्ता कायम की और १२११ ई. में हूसामुद्दीन ने गयासुद्दीन की उपाधि धारण
ममलूक राजवंश के समय तुर्कों का मनेर, बिहार शरीफ के अलावा शाहाबाद (गया), पटना, मुंगेर, भागलपुर, नालन्दा, सासाराम एवं विक्रमशिला इत्यादि क्षेत्रों पर अधिकार रहा। परन्तु दक्षिण बिहार में तुर्कों का उतना प्रभाव क्षेत्रों पर अधिकार रहा। परन्तु दक्षिण बिहार में तुर्कों का उतना प्रभाव क्षेत्र नहीं रहा।
== खिलजी वंश ==
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रुकनुद्दीन कैकाउस की मृत्यु की बाद बिहार पर लखनौती का नियन्त्रण समाप्त हो गया। फिरोज ऐतगीन ने सुल्तान शमसुद्दीन फिरोजशाह के नाम से एक राजवंश बनाया १३०५-१५ ई. तक हातिम खाँ बिहार का गवर्नर बना रहा।
इस प्रकार बिहार पर खिलजी राजवंश का प्रभाव कम और सीमित क्षेत्रों पर रहा। (जो अवध का गवर्नर था) इवाज को गिरफ्तार कर हत्या कर दी। अवध, बिहार और लखनौती को मिलाकर एक कर दिया। १२२७-२९ ई. तक उसने शासन किया। १२२९ ई. में उसकी मृत्यु के बाद दौलतशाह खिलजी ने पुनः विद्रोह कर दिया, परन्तु इल्तुतमिश ने पुनः लखनौती जाकर वल्ख खिलजी को पराजित कर दिया तथा बिहार और बंगाल को पुनः अलग-अलग कर
== [[बलबन]] ==
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== [[चेरो राजवंश]] ==
बिहार में चेरो राजवंश के उदय का प्रमाण मिलता है, जिसका प्रमुख चेरो राज था। वह शाहाबाद, सारण,
१२वीं शताब्दी में चेरो राजवंश का विस्तार बनारस के पूरब में पटना तक तथा दक्षिण में बिहार शरीफ एवं गंगा तथा उत्तर में कैमूर तक था। दक्षिण भाग में चेरो सरदारों का एक मुस्लिम धर्म प्रचारक मंसुस्हाल्लाज शहीद था। शाहाबाद जिले में चार चेरो रान्य में विभाजित था-
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