"बृहस्पति (ग्रह)": अवतरणों में अंतर

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| symbol = [[चित्र:Jupiter symbol.svg|25px|Astronomical symbol of Jupiter]]
| image = [[चित्र:Jupiter by Cassini-Huygens.jpg|240px]]
| caption = कैसिनी से ली गई बृहस्पति की छवि, काला धब्बा युरोपा की परछाई है।
| orbit_ref =
<ref name=horizons>{{cite web
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'''बृहस्पति''' सूर्य से पांचवाँ और हमारे [[सौरमंडल]] का सबसे बड़ा [[ग्रह]] है। यह एक [[गैस दानव]] है जिसका [[द्रव्यमान]] सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को [[शनि]], [[युरेनस]] और [[नेप्चून]] के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है।
 
यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है<ref>{{cite web | last = De Crespigny | first = Rafe | title = Emperor Huan and Emperor Ling | url = http://www.anu.edu.au/asianstudies/decrespigny/HuanLing_part2.pdf | archiveurl = http://web.archive.org/web/20060907044624/http://www.anu.edu.au/asianstudies/decrespigny/HuanLing_part2.pdf | archivedate = September 7, 2006 | work = Asian studies, Online Publications | accessdate = May 1, 2012 | quote = Xu Huang apparently complained that the astronomy office had failed to give them proper emphasis to the eclipse and to other portents, including the movement of the planet Jupiter (taisui). At his instigation, Chen Shou/Yuan was summoned and questioned, and it was under this pressure that his advice implicated Liang Ji.}}</ref> तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। [[रोमन साम्राज्य|रोमन सभ्यता]] ने अपने देवता [[जुपिटर]] के नाम पर इसका नाम रखा था।<ref>{{cite book
|author=Stuart Ross Taylor
|year=2001|title=Solar system evolution: a new perspective : an inquiry into the chemical composition, origin, and evolution of the solar system
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=== रासायनिक संरचना ===
बृहस्पति का उपरी [[वायुमंडल]] ८८-९२% [[हाइड्रोजन]] और ८-१२% [[हीलियम]] से बना है और ध्यान रहे यहाँ [[प्रतिशत]] का तात्पर्य अणुओं की मात्रा से है। हीलियम [[परमाणु]] का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु से चार गुना ज्यादा होता है।यहहै। यह संरचना तब बदल जाती है जब इसके द्रव्यमान के अनुपात को विभिन्न परमाणुओं के योगदान के रूप में वर्णित किया जाता है। इस प्रकार वातावरण लगभग ७५ % हाइड्रोजन और २४ % हीलियम द्रव्यमान द्वारा औए शेष एक प्रतिशत द्रव्यमान अन्य तत्वों से मिलकर बना होता है। इसके आतंरिक भाग में घने पदार्थ मिलते है, इस तरह मोटे तौर पर वितरण ७१% हाइड्रोजन, २४% हीलियम और ५% अन्य तत्वों के द्रव्यमान का होता है। [[खगोलशास्त्रियों]] का मानना है कि बृहस्पति के केन्द्रीय भाग में हाइड्रोजन भयंकर दबाव से कुचलकर [[धातु हाइड्रोजन]] के रूप में मौजूद है। बृहस्पति का [[चुम्बकीय क्षेत्र]] हमारे सौर मंडल के किसी भी अन्य ग्रह से अधिक शक्तिशाली है और वैज्ञानिक कहते हैं कि इसकी वजह बृहस्पति के अन्दर की धातु हाइड्रोजन है।<ref name="ref51vifuh">[http://books.google.com/books?id=G7UtYkLQoYoC Encyclopedia of the solar system], Paul Robert Weissman, Torrence V. Johnson, Academic Press, 2007, ISBN 978-0-12-088589-3, ''... Hydrogen and helium compose about 90% of Jupiter's mass. Most of the hydrogen exists in the form of metallic hydrogen. Jupiter is the largest reservoir of this materialin the solar system. Convection in the metallic hydrogen interior is likely responsible for the generation of Jupiter's magnetic field ...''</ref>
 
बृहस्पति के वायुमंडल में [[मीथेन]], जल वाष्प, [[अमोनिया]] और [[सिलिकॉन]] आधारित यौगिक मिले है। इसमे [[कार्बन]], [[इथेन]], [[हाइड्रोजन सल्फाइड]], फोस्फाइन और [[सल्फर]] के होने के भी संकेत मिले है। वायुमंडल के बाह्यतम परत में जमीं हुई अमोनिया के क्रिस्टल होते हैं। [[अवरक्त]] [[पराबैंगनी]] मापन के माध्यम से जांचने पर [[बेंजीन]] और अन्य [[हाइड्रोकार्बन]] की मात्रा भी पायी गई है। हाइड्रोजन और हीलियम का वायुमंडलीय अनुपात आद्य सौर [[नीहारिका]] की सैद्धांतिक संरचना के बहुत करीब हैं। ऊपरी वायुमंडल में [[नियॉन]] की मात्रा २० भाग प्रति दस लाख है, जो [[सूर्य]] में प्रचुर मात्रा में लगभग १० भाग प्रति दस लाख होती है। बृहस्पति के वायुमंडल में भारी अक्रिय गैसों की प्रचुरता सूर्य से लगभग दो से तीन गुना ज्यादा है।
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=== बादल परत ===
[[चित्र:790106-0203 Voyager 58M to 31M reduced.gif|thumb|right|वॉयजर १ से लिया गया बृहस्पति के ऊपर बादलों का चित्र।]]
बृहस्पति सदा अमोनिया क्रिस्टल और संभवतः अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड के बादलों से ढंका रहता है | यह बादल [[ट्रोपोपाउस]] में स्थित हैं और विभिन्न अक्षांशों की धारियों में व्यवस्थित है, इन्हें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है | इन धारियों को हल्के रंग के क्षेत्रों (''zones'') और गहरे रंग की पट्टियों (''belts'') में उप-विभाजित किया गया है | इन परस्पर विरोधी परिसंचरण आकृतियों की पारस्परिक क्रिया तूफान और अस्तव्यस्तता का कारण होती है | क्षेत्रों में [[पवन]] की गति १०० मीटर/सेकण्ड (३६० कि.मी./घंटा) होना आम बात है | क्षेत्रों की चौड़ाई, रंग और तीव्रता में वर्ष दर वर्ष भिन्नता देखी गयी है लेकिन उनमे इतनी स्थिरता बनी रहती है कि खगोलविद् पहचानकर उन्हें कोई नाम दे सके।
 
बादल परत की गहराई लगभग ५० कि.मी. है और यह बादलों के कम से कम दो पटावों (''decks'') से मिलकर बनी है। एक नीचला मोटा पटाव और एक पतला साफ़ सुथरा क्षेत्र | बृहस्पति के वातावरण में बिजली की चमक के प्रमाण मिलने से लगता है कि अमोनिया परत के भीतर जलीय बादलों की एक पतली परत हो सकती है। बिजली की यह चमक जलीय ध्रुवता (''polarity'') के कारण होती है जो जलीय बादलों को बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक पृथक आवेश बनाने सक्षम बनाती है | यह विद्युतीय चमक पृथ्वी पर होने वाली बिजली की चमक से हजार गुना तक शक्तिशाली हो सकती है | बढ़ती आतंरिक गर्मी से प्रेरित होकर जलीय बादल गरज का रूप ले सकते है।
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इस गैसीय ग्रह के अशांत वातावरण में इस तरह के तूफ़ान होना आम बात है | बृहस्पति पर सफ़ेद और भूरे रंग के बेनाम अनेको छोटे धब्बे है | सफ़ेद धब्बे उपरी वातावरण के भीतर अपेक्षाकृत शांत बादल से मिलकर बने है इसके विपरीत भूरे धब्बे गर्म होते है और सामान्य बादल परत के भीतर बनते है |
 
इससे पहले कि वॉयजर इस आकृति की तूफानी प्रवृत्ति की पुष्टि करता, यह जान लिया गया था कि इस धब्बे का संबंध इस ग्रह की किसी गहरी रचना से नहीं था और इस बात के पुख्ता प्रमाण थे - जैसे कि इसकी घूर्णन गति अपने इर्द गिर्द मौजूद वातावरण कि अपेक्षा भिन्न है और कभी यह तेज घूमता है तो कभी बहुत धीमे | यह तूफानी धब्बा अपने दर्ज इतिहास के दौरान किसी भी संभावित नियत आवर्ती निशानी के सापेक्ष ग्रह के चारों ओर कई बार यात्रा कर चुका है |
 
== ग्रहीय छल्ले ==
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इस ग्रह से ७५ बृहस्पति अर्ध व्यास की दूरी पर सौर वायु के साथ [[चुम्बकीय गोला|मेग्नेटोस्फेयर]] के संपर्क से बो शॉक पैदा होती है | बृहस्पति का मेग्नेटोस्फेयर, मेग्नेटोपाउस से घिरा है जो मेग्नेटोशिल्थ के अंदरूनी किनारे पर स्थित है | मेग्नेटोशिल्थ, मेग्नेटोस्फेयर और बो शॉक के बीच का क्षेत्र है | सौर वायु इसी क्षेत्र से टकराकर बृहस्पति के मेग्नेटोस्फेयर को तान देता है और तनाव का यह विस्तार शनि की कक्षा के पास पहुँचने तक जारी रहता है | बृहस्पति के चारों बड़े चन्द्रमाओं की कक्षाएं मेग्नेटोस्फेयर के अन्दर स्थित है जो सौर वायु से इनकी रक्षा करता है |
 
बृहस्पति का मेग्नेटोस्फेयर, ग्रह के ध्रुवीय क्षेत्रों से तीव्र धारा की रेडियो उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है | आयो चन्द्रमा पर ज्वालामुखी गतिविधि, बृहस्पति के मेग्नेटोस्फेयर में गैस फेंक कर ग्रह के आसपास कणों का टॉरस बनाती है | जैसे ही आयो टॉरस से होकर होकर गुजरता है टकराहट से आल्फवेन तरंग उत्पन्न होती है जो आयनित पदार्थ को वहन कर बृहस्पति के ध्रुवीय क्षेत्रों में ले जाती है | परिणामस्वरूप, साइक्लोट्रोंन मेसर तंत्र के माध्यम से रेडियो तरंगे उत्पन्न होती है और यह ऊर्जा एक शंकु आकार की सतह के साथ बाहर की ओर फैलती है | जब पृथ्वी इस शंकु को काटती है, बृहस्पति से रेडियों उत्सर्जन, सौर रेडियों उत्सर्जन से अधिक हो सकता है |
 
== परिक्रमा एवं घूर्णन ==
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|accessdate = 2007-02-20}}</ref>
 
बृहस्पति का [[घूर्णन]] सौरमंडल के सभी ग्रहों में सबसे तेज है, यह अपने [[घूर्णन अक्ष|अक्ष]] पर एक घूर्णन १० घंटे से थोड़े कम समय में पूरा करता है, जिससे भूमध्यरेखीय उभार बनता है जो भू-आधारित [[दूरदर्शी]] से आसानी से दिखाई देता है | इस घूर्णन को २४.७९&nbsp;मीटर/सेकण्ड<sup>२</sup> भूमध्यरेखीय सतही गुरुत्वाकर्षण की तुलना में, [[भूमध्यरेखा]] पर १.६७&nbsp; मीटर/सेकण्ड<sup>२</sup> [[केन्द्राभिमुख त्वरण]](centripetal acceleration) की जरुरत होती है, इस तरह भूमध्यरेखीय सतह पर परिणामी त्वरण केवल २३.१२&nbsp; मीटर/सेकण्ड<sup>२</sup>होता है | इस ग्रह का आकार [[चपटा उपगोल]] जैसा है, जिसका अर्थ है इसके भूमध्यरेखा के आरपार का [[व्यास]], इनके ध्रुवों के बीच के व्यास से ९२७५ कि.मी.अधिक लंबा है |<ref name="lang03" />
 
चूँकि बृहस्पति एक ठोस ग्रह नहीं है, इसके उपरी [[वायुमंडल]] में अनेक घूर्णन गतियाँ है | इसके ध्रुवीय वायुमंडल का घूर्णन, भूमध्यरेखीय वायुमंडल से ५ मिनट लंबा है | गतियों की तीन प्रणालियों को सापेक्षिक निशानी के रूप में इस्तेमाल किया गया है, विशेषरूप से जब वायुमंडलीय लक्षणों का अभिलेख किया जाता है | '''प्रणाली I''' १०° उत्तर से १०° दक्षिण अक्षांशों पर लागू, ९ घंटे ५० मिनट ३०.० सेकण्ड पर सबसे कम अवधि | '''प्रणाली II''' इसके उत्तर और दक्षिण के सारे अक्षांशों पर लागू, घूर्णन अवधि ९ घंटे ५५ मिनट ४०.६ सेकण्ड | '''प्रणाली III''' को पहले [[रेडियो खगोलशास्त्र|रेडियो खगोलविद]] ने परिभाषित किया था, यह ग्रह के मैग्नेटोस्फेयर से मेल खाता है, यह अवधि बृहस्पति की आधिकारिक घूर्णन अवधि है |<ref>{{cite book
|first=Ian|last=Ridpath|year=1998
|title=Norton's Star Atlas|edition=19th
पंक्ति 277:
|title=China's Major Mysteries: Paranormal Phenomena and the Unexplained in the People's Republic
|publisher=China Books|isbn=0-8351-2676-5}}</ref>
अपनी दूसरी सदीं की अल्मागेस्ट कृति में, हेल्लेनिस्टिक खगोलविद् [[क्लाडियस टॉलमी | क्लाडियस टोलेमस]] ने पृथ्वी के सापेक्ष बृहस्पति की गति की व्याख्या के लिए, [[deferent]]s और [[epicycle]]s पर आधारित एक [[भूकेन्द्रीय मॉडल | भूकेन्द्रीय]] ग्रहीय मॉडल का निर्माण किया, जिसने पृथ्वी के चारों ओर इसकी कक्षीय अवधि ४३३२.३८ या ११.८६ वर्षों के रूप में दी |<ref>{{cite book
|title=A Survey of the Almagest
|author=Olaf Pedersen
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|accessdate = 2007-02-14}}</ref> १६९० में कैसिनी ने देखा कि वातावरण भिन्न भिन्न घूर्णन के अधीन चलायमान है |<ref name="elkins-tanton" />
 
[[चित्र:Jupiter from Voyager 1.jpg|thumb|वॉयेजर १ से ली गई बृहस्पति की तस्वीर, ग्रेट रेड स्पॉट और गुजरता हुआ एक सफ़ेद अंडॉ॰]]
विशाल लाल धब्बा, बृहस्पति के दक्षिणी गोलार्द्ध में एक प्रख्यात अंडाकार आकृति है, इसे १६६४ में [[रॉबर्ट हूक|रॉबर्ट हुक]] द्वारा पहले देखा गया हो सकता है और १६६५ में [[गियोवन्नी डोमेनिको कैसिनी | गियोवन्नी कैसिनी]] द्वारा, हालांकि यह विवादास्पद है | औषध विक्रेता [[हेनरिक स्च्वाबे]] ने १८३१ में विशाल लाल धब्बे के विस्तार को दिखाने के लिए सबसे पहले ज्ञात आरेखण प्रस्तुत किया |<ref>{{cite book
|first=Paul|last=Murdin|year=2000
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|doi=10.1086/124297}}</ref>
 
तीन दीर्घायु प्रतिचक्रवातीय आकृतियों को सफ़ेद अंडे कहा गया जो १९३८ में देखे गए थे | कई दशकों के लिए वे वातावरण में अलग विशेषताओं के रूप में बनें रहें, कभी कभी एक दूसरे के निकट आ जाते लेकिन कभी भी विलीन नहीं हुए | अंततः, उनमें से दो अण्डों ने १९९८ में विलय कर दिया, फिर २००० में तीसरे को अपने साथ मिला लिया और [[ओवल बी.ए.]] हो गया |<ref>{{cite journal
|author= Youssef, A.; Marcus, P. S.
|title=The dynamics of jovian white ovals from formation to merger
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[[चित्र:Jupiter gany.jpg|thumb|वॉयेजर १ ने बृहस्पति की इस तस्वीर को २४ जनवरी १९७९ को लिया था।]]
 
सन् १९७३ के प्रारंभ में, अनेक अंतरिक्ष यानों ने ग्रहीय उड़ान की कौशलताओं का प्रदर्शन किया है, जिसने उनको बृहस्पति के अवलोकन क्षेत्र के भीतर ला दिया | [[पायोनियर]] मिशन ने बृहस्पति के वायुमंडल और उनके चंद्रमाओं की पहली नजदीकी छवियों को प्राप्त किया | उसने पाया कि ग्रह के पास का विकिरण क्षेत्र उम्मीद से कहीं ज्यादा शक्तिशाली था, लेकिन दोनों अंतरिक्ष यान इस वातावरण में जीवित रहने में कामयाब रहे | इस अंतरिक्ष यान के प्रक्षेप पथ का उपयोग ग्रहीय प्रणाली के आकलन को बड़े पैमाने पर परिष्कृत करने के लिए किया गया | ग्रह द्वारा रेडियो संकेतों को ढंकने का परिणाम बृहस्पति के व्यास और ध्रुवीय सपाट राशि के बेहतर माप के रूप में हुआ |<ref name="burgess" /><ref name="cosmology 101">{{cite web
|last = Lasher|first = Lawrence
|date= अगस्त 1, 2006
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|accessdate = 2006-11-28}}</ref>
 
छः वर्ष बाद, [[वॉयेजर]] मिशन से [[गैलीलियन चंद्रमा | गैलिलीयन चंद्रमाओं]] की समझ में बेहद सुधार हुआ और बृहस्पति के छल्लों की खोज हुई | उसने यह भी पुष्टि की कि विशाल लाल धब्बा प्रतिचक्रवाती था | छवियों की तुलना से पता चला है कि पायोनियर मिशन के बाद लाल धब्बे का रंग बदल गया था और यह बदलाव नारंगी से गहरे भूरे रंग की ओर था | आयनित परमाणुओं के [[टॉरस]] की खोज आयो के कक्षीय पथ के साथ साथ हुई थी और चंद्रमाओं की सतहों पर जहां ज्वालामुखी पाए गए, कुछ में फूटने की प्रक्रिया चल रही थी | जैसे ही अंतरिक्ष यान ग्रह के पीछे से गुजरा, रात्रि पक्ष के वातावरण से इसने बिजली की चमक अवलोकित की |<ref name="voyager">{{cite web |date= January 14, 2003|url = http://voyager.jpl.nasa.gov/science/jupiter.html|title = Jupiter|publisher = NASA Jet Propulsion Laboratory|accessdate = 2006-11-28}}</ref><ref name="burgess" />
 
बृहस्पति से मुठभेड़ के लिए अगला मिशन, यूलिसेस सौर यान ने, सूर्य के चारों ओर एक ध्रुवीय कक्षा प्राप्त करने के लिए उड़ान कलाबाजी का प्रदर्शन किया | इस गुजारें के दौरान अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति के मेग्नेटोस्फेयर के अध्ययनों का संचालन किया | यूलिसेस के पास कैमरा नहीं होने से, कोई छवि नहीं ली गई| छः साल बाद एक दूसरी उड़ान बहुत अधिक से अधिक दूरी पर थी |<ref name="ulysses">{{cite web|author = Chan, K.; Paredes, E. S.; Ryne, M. S.|year = 2004|url = http://www.aiaa.org/Spaceops2004Archive/downloads/papers/SPACE2004sp-template00447F.pdf|title = Ulysses Attitude and Orbit Operations: 13+ Years of International Cooperation|format = PDF|publisher = American Institute of Aeronautics and Astronautics|accessdate = 2006-11-28|archiveurl=http://web.archive.org/web/20051214075825/http://www.aiaa.org/Spaceops2004Archive/downloads/papers/SPACE2004sp-template00447F.pdf|archivedate=2005-12-14}}</ref>
 
सन् २००० में, कैसिनी यान ने, [[शनि]] मार्ग के लिए, बृहस्पति से उड़ान भरी और कभी ग्रह से बनी कुछ उच्च-स्पष्टता की छवियाँ प्रदान की | १९ दिसंबर २००० को, अंतरिक्ष यान ने [[हिमालीया]] चन्द्रमा की तस्वीर को कैद किया, परन्तु सतह विवरण दिखाने के लिए स्पष्टता बहुत ही निम्न थी |<ref>{{cite journal|author=Hansen, C. J.; Bolton, S. J.; Matson, D. L.; Spilker, L. J.; Lebreton, J.-P.|title=The Cassini–Huygens flyby of Jupiter|bibcode=2004Icar..172....1H|journal=Icarus|year=2004|volume=172|issue=1|pages=1–8|doi = 10.1016/j.icarus.2004.06.018}}</ref>
 
[[न्यू होराएज़न्ज़|न्यू होरिजोंस]] यान ने, [[प्लूटो]] मार्ग के लिए, गुरुत्वाकर्षण की सहायता से बृहस्पति से उड़ान भरी | इसकी निकटतम पहुँच २८ फरवरी २००७ पर थी |<ref>{{cite web|url=http://www.planetary.org/explore/topics/space_missions/new_horizons/022807.html|title=Mission Update: At Closest Approach, a Fresh View of Jupiter|accessdate=2007-07-27|archiveurl=http://web.archive.org/web/20070429113112/http://www.planetary.org/explore/topics/space_missions/new_horizons/022807.html|archivedate=2007-04-29}}</ref>यान के कैमरों ने आयो पर ज्वालामुखीयों से निर्गम प्लाज्मा की गणना की और विस्तार में सभी चारों गैलिलीयन चंद्रमाओं का अध्ययन किया तथा साथ ही साथ बाहरी चंद्रमाओं [[हिमालीया]] और [[एलारा]] से यह लम्बी-दूरी का अवलोकनकर्ता बना |<ref>{{cite web|url=http://www.nasa.gov/mission_pages/newhorizons/news/jupiter_system.html|title=Pluto-Bound New Horizons Provides New Look at Jupiter System|accessdate=2007-07-27}}</ref>४ सितम्बर २००६ को इसने जोवीयन प्रणाली की तस्वीरें लेना शुरू किया |<ref>{{cite news|date= January 19, 2007|url = http://news.bbc.co.uk/2/hi/science/nature/6279423.stm|title = New Horizons targets Jupiter kick|publisher = BBC News Online|accessdate = 2007-01-20}}</ref><ref>{{cite web|last = Alexander|first = Amir |date= सितंबर 27, 2006 | url = http://www.planetary.org/news/2006/0927_New_Horizons_Snaps_First_Picture_of.html|title = New Horizons Snaps First Picture of Jupiter|publisher = The Planetary Society|accessdate = 2006-12-19|archiveurl=http://web.archive.org/web/20070221220556/http://www.planetary.org/news/2006/0927_New_Horizons_Snaps_First_Picture_of.html|archivedate=2007-02-21}}</ref>
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अब तक केवल [[गैलिलेयो (अंतरिक्ष यान)|गैलिलियो]] ने बृहस्पति का चक्कर लगाया है, जो ७ दिसंबर, १९९५ को बृहस्पति के चारों ओर की कक्षा में चला गया | इसने सात साल से अधिक ग्रह का चक्कर लगाया, तथा सभी गैलिलियाई चंद्रमाओं और [[ऐमलथीया (उपग्रह)|ऐमलथीया]] की बहु-उड़ानों का वाहक बना | इस अंतरिक्ष यान ने [[धूमकेतु सुमेकर-लेवी ९]] की टक्कर का भी साक्ष्य दिया जब यह १९९४ में बृहस्पति पर पहुंचा और घटना के लिए एक अद्वितीय लाभप्रद अवसर दिया | उच्च-प्राप्ति रेडियो प्रसारण एंटीना की असफल तैनाती के कारण इसकी मूल डिजाइन क्षमता सिमित थी, हालांकि बृहस्पति प्रणाली के बारे में गैलिलियो से प्राप्त जानकारी व्यापक थी |<ref name="galileo">{{cite web|last = McConnell|first = Shannon |date= अप्रैल 14, 2003|url = http://www2.jpl.nasa.gov/galileo/|title = Galileo: Journey to Jupiter|publisher = NASA Jet Propulsion Laboratory|accessdate = 2006-11-28}}</ref>
 
एक वायुमंडलीय प्रविष्ठी यान जुलाई १९९५ में अंतरिक्ष यान से छोड़ा गया था, जिसने ७ दिसंबर को ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश किया | इसने पैराशूट से वायुमंडल की १५० कि.मी. की यात्रा की, ५७.६ मिनटों के लिए आंकड़े एकत्रित किये और उस दबाव के द्वारा कुचल दिया गया, जिसके अधीन वह उस समय था (१५३ ° से. तापमान पर, पृथ्वी के सामान्य दाब का लगभग २२ गुना) |<ref>{{cite web|first = Julio|last = Magalhães|date = December 10, 1996|url = http://spaceprojects.arc.nasa.gov/Space_Projects/galileo_probe/htmls/probe_events.html|title = Galileo Probe Mission Events|publisher = NASA Space Projects Division|accessdate = 2007-02-02}}</ref>उसके बाद वह पिघल गया होगा और संभवतः वाष्पीकृत हो गया होगा | गैलीलियों यान ने भी दुर्भाग्य से इसी तरह के इससे भी अधिक द्रुत परिवर्तन का अनुभव किया, जब २१ सितम्बर २००३ को इसे जानबूझ कर ५० कि.मी./ सेकण्ड से अधिक वेग से इस ग्रह की ओर चलाया गया, यह आत्मघाती कदम एक उपग्रह को भविष्य की किसी भी संभावित दुर्घटना से और संभवतः दूषित होने से बचाने के लिए उठाया गया था और यह उपग्रह है, युरोपा - एक चाँद जिसमें जीवन को शरण देने की संभावना है, ऐसी धारणा रही है |<ref name="galileo" />
 
==== भविष्य के प्रोब और रद्द मिशन ====
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== चन्द्रमा ==
[[चित्र:The_Galilean_satellites_(the_four_largest_moons_of_Jupiter).tif|thumb|325px|गैलिलीयन चन्द्रमा, बाएं से दाएं, सूर्य से बढ़ती दूरी के क्रमानुसार: [[आयो]], [[युरोपा]], [[गैनिमीड]], [[कैलीस्टो]].]]
 
[[चित्र:Jupiter and Galilean moons.jpg|right|thumb|बृहस्पति, गैलिलीयन चन्द्रमाओ के साथ]]
{{main|बृहस्पति के उपग्रह}}
 
बृहस्पति के ६६ प्राकृतिक उपग्रह है, इनमें से १० कि.मी. से कम व्यास के ५० उपग्रह है और इन सभी को १९७५ के बाद खोजा गया है | चार सबसे बड़े चन्द्रमा आयो, युरोपा, गैनिमीड और कैलिस्टो, [[गैलिलीयन चन्द्रमा]] के नाम से जाने जाते है |
 
=== गैलिलीयन चन्द्रमा ===
सौरमंडल के कुछ बड़े उपग्रहों, आयो, युरोपा और गैनिमीड की कक्षाएँ, एक विशिष्ट स्वरूप बनाते है जिसे [[कक्षीय अनुनाद| लाप्लास रेजोनेंस]] के नाम से जाना जाता है | आयो उपग्रह, बृहस्पति के चार चक्कर लगाने में जितना समय लेता है, ठीक उतने ही समय में युरोपा पूरे पूरा दो चक्कर और गैनिमीड पूरे पूरा एक चक्कर लगाता है | यह रेजोनेंस, तीन बड़े चन्द्रमाओं के [[गुरुत्वाकर्षण]] प्रभाव के कारण बनता है जो उनकी कक्षाओं के आकार को विकृत कर अंडाकार कर देते है क्योंकि प्रत्येक चाँद अपने हर एक पूरे चक्कर में पडोसी चाँद से एक ही बिंदु पर अतिरिक्त खिंचाव प्राप्त करता है | दूसरी ओर, बृहस्पति से [[ज्वारीय बल]], कक्षाओं को वृत्तिय बनाने की कोशिश करता है |<ref>{{cite journal|author= Musotto, S.; Varadi, F.; Moore, W. B.; Schubert, G.|title=Numerical simulations of the orbits of the Galilean satellites|url=http://cat.inist.fr/?aModele=afficheN&cpsidt=13969974|journal=Icarus|year=2002|volume=159|issue= 2|pages=500–504 |doi = 10.1006/icar.2002.6939|bibcode=2002Icar..159..500M}}</ref>
 
{| class="wikitable" style="float:left; text-align:center"
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=== चंद्रमाओं का वर्गीकरण ===
[[चित्र:Europa-moon.jpg|thumb|right|140px|युरोपा]]
वॉयजर मिशन की खोजों से पहले, बृहस्पति के चन्द्रमा अपने कक्षीय तत्वों की समानता के आधार पर बड़े ही सलीके से चार चार के चार समूहों में व्यवस्थित किए गए थे | बाद में, नए छोटे बाहरी चन्द्रमाओं की बड़ी संख्या ने तस्वीर जटिल कर दी | अब मुख्य छः समूह माने जाते है, हालांकि उनमे से कुछ दूसरों से अलग है |
 
मूल उप-विभाजन, आठ अंदरूनी नियमित चन्द्रमाओं को समूह में बांटना है जिनकी कक्षाएं बृहस्पति के विषुववृत्त तल के नजदीक है और करीब-करीब वृत्ताकार है तथा बृहस्पति के साथ बने हुए लगते है| शेष चन्द्रमा अंडाकार और झुकी कक्षाओं के साथ अज्ञात संख्या में छोटे-छोटे अनियमित चंद्रमाओं से मिलकर बने है। यह हड़प लिए गए क्षुद्रग्रहों या हड़प लिए गए क्षुद्रग्रहों के खंड माने गए है|अनियमित चन्द्रमा जिस समूह में शामिल है समान कक्षीय गुण साझा करते है और इस प्रकार वें एक ही मूल की उपज हो सकते है।<ref>{{cite book|author=Jewitt, D. C.; Sheppard, S.; Porco, C.|editor=Bagenal, F.; Dowling, T.; McKinnon, W|year=2004|title=Jupiter: The Planet, Satellites and Magnetosphere|publisher=Cambridge University Press|isbn=0-521-81808-7|url =http://web.archive.org/web/20110714003048/http://www.ifa.hawaii.edu/~jewitt/papers/JUPITER/JSP.2003.pdf|format=PDF}}</ref><ref>{{cite journal|author=Nesvorný, D.; Alvarellos, J. L. A.; Dones, L.; Levison, H. F.|title=Orbital and Collisional Evolution of the Irregular Satellites|journal=The Astronomical Journal|year=2003|volume=126|issue=1|pages=398–429|bibcode=2003AJ....126..398N|doi=10.1086/375461}}</ref>
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|[[Inner satellites of Jupiter|अंदरूनी समूह]]<br /> Inner group
|अंदरूनी समूह के सभी चारों चंद्रमाओं का व्यास २०० कि.मी. से कम, कक्षीय त्रिज्या २,००,००० कि.मी. से कम और कक्षीय झुकाव आधा डिग्री से कम है।
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|[[गैलिलीयन चन्द्रमा]]<ref>{{cite journal
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| pmid = 10506564
}}</ref>
|इन चारो ग्रहों की खोज गैलीलियों गैलिली द्वारा और सिमोन मारियास द्वारा समानांतर की गई थी, इसकी कक्षा ४,००,००० कि.मी. और २०,००,००० कि.मी. के बीच है, तथा यह सौरमंडल के कुछ बड़े चंद्रमाओं में से है।
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!colspan="2"|अनियमित चन्द्रमा
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|[[हिमालीया समूह]]<br />Himalia group
|यह सघन सटे चंद्रमाओं का समूह है, १,१०,००,००० - १,२०,००,००० कि.मी. दूरी से बृहस्पति का चक्कर लगाते है।
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|[[कार्पो]]<br />Carpo
|एक और अपने समूह का अकेला चन्द्रमा, जो अनांके समूह के अंदरूनी किनारे पर है।
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|[[अनांके समूह]]<br />Ananke group
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|[[कार्मे समूह]]<br />Carme group
|यह एक काफी अलग प्रतिगामी समूह है, बृहस्पति से औसत दूरी २,३४,०४,००० कि.मी. के साथ औसत झुकाव १६५ डिग्री है।
 
|-
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== सौर प्रणाली के साथ सहभागिता ==
[[चित्र:InnerSolarSystem-en.png|right|thumb|यह चित्र बृहस्पति की कक्षा में ट्रोजन क्षुद्रग्रहों के साथ ही मुख्य [[क्षुद्रग्रह बेल्ट]] को दिखाता है।]]
सूर्य के साथ-साथ, बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव ने [[सौरमंडल]] को आकार देने में बहुत मदद की है, अधिकतर ग्रहों की कक्षाएं सूर्य के भूमध्यरेखीय तल की बजाय बृहस्पति के [[कक्षीय तल]] के पास स्थित है (केवल [[बुध]] ग्रह का कक्षीय झुकाव सूर्य की भूमध्यरेखा से नजदीक है) | [[क्षुद्रग्रह बेल्ट]] में [[किर्कवुड अंतराल]] अधिकांशतः बृहस्पति की वजह से हैं और यह ग्रह अंदरूनी सौरमंडलीय इतिहास के [[आदि भीषण बमबारी | चंद्रप्रलय]] के लिए जिम्मेदार हो सकता है |<ref>{{cite journal
|last = Kerr|first = Richard A.
|title=Did Jupiter and Saturn Team Up to Pummel the Inner Solar System?
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|pmid=15576586}}</ref>
 
अपने चन्द्रमाओं के साथ, बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र उन कई क्षुद्रग्रहों को भी नियंत्रित करता है जो [[लग्रांज बिन्दु|लाग्रंगियन बिंदुओं]] के क्षेत्रों में बसे है और अपनी-अपनी कक्षाओं में सूर्य के इर्दगिर्द बृहस्पति का अनुसरण करते है | यह [[ट्रोजन क्षुद्रग्रह]] के रूप में जाने जाते है, तथा [[ग्रीक कैम्प]] और [[ट्रोजन कैम्प]] में विभाजित है | इनमे से पहला, [[५८८ एचिलेस]] (588 Achilles), सन् १९०६ में [[मैक्स वोल्फ]] द्वारा खोजा गया ; उसके बाद दो हजार से अधिक और खोजे जा चुके है,<ref>{{cite web
|url=http://www.minorplanetcenter.org/iau/lists/JupiterTrojans.html
|title=List Of Jupiter Trojans|accessdate=2010-10-24
|publisher=IAU Minor Planet Center}}</ref> उनमें से सबसे बड़ा [[६२४ हेक्टोर]] (624 Hektor) है |
 
बृहस्पति परिवार के अधिकतर [[लघु-अवधि-धूमकेतु]] - उन धूमकेतुओं के रूप में परिभाषित है जिनके [[अर्ध्य-मुख्य अक्ष]] (semi-mejor axis) बृहस्पति के अक्षो से छोटे है | बृहस्पति परिवार के धूमकेतु, नेप्चून कक्षा के पार [[काइपर घेरा|कुइपर बेल्ट]] में निर्मित माने जाते है | बृहस्पति के साथ नजदीकी मुठभेड़ों के दौरान उनकी कक्षाएं एक छोटी अवधि में तब्दील कर दी गई और बाद में सूर्य और बृहस्पति के साथ नियमित गुरुत्वाकर्षण प्रभाव द्वारा वृत्ताकार हो गई |<ref>{{cite journal
|author=Quinn, T.; Tremaine, S.; Duncan, M.
|title=Planetary perturbations and the origins of short-period comets|journal=Astrophysical Journal, Part 1|year=1990
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=== टक्कर ===
[[चित्र:Hs-2009-23-crop.jpg|thumb|right|२३ जुलाई को ली गई [[हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी|हबल]] छवि, [[२००९ बृहस्पति टक्कर]] द्वारा छोड़े गए लगभग ५,००० मील लम्बे धब्बे को दिखा रहा है।<ref>{{cite news|author=Dennis Overbye |title=Hubble Takes Snapshot of Jupiter’s ‘Black Eye’ |url=http://www.nytimes.com/2009/07/25/science/space/25hubble.html?ref=science|date=2009-07-24|publisher=New York Times|accessdate=2009-07-25}}</ref>]]
बृहस्पति को सौरमंडल का वेक्यूम क्लीनर कहा गया है,<ref>{{cite news
|first=Richard A.|last=Lovett
पंक्ति 641:
|journal=Astronomical Journal|year=1998|volume=115
|issue=2|pages=848–854|url=http://www.iop.org/EJ/article/1538-3881/115/2/848/970144.html
|accessdate=2007-08-28 |doi = 10.1086/300206|bibcode=1998AJ....115..848N}}</ref>यह सोचा गया था कि यह ग्रह धूमकेतु बमबारी से आंतरिक प्रणाली के लिए आंशिक रूप से ढाल का कार्य करता है | हाल के कंप्यूटर सिमुलेशन सुझाव देते है कि बृहस्पति, उन धूमकेतुओं की संख्या में होने वाली कमी का कारण नहीं है जो आंतरिक सौर प्रणाली से होकर गुजरते है, जैसे ही इसका गुरुत्व अन्दर की ओर आने वाले धूमकेतुओं की कक्षाओं को मोड़ता है, मोटे तौर पर उतनी ही संख्या में उन्हें बाहर निकाल फेंकता है |<ref>{{cite journal
|author=Horner, J.; Jones, B. W. |year=2008
|title=Jupiter – friend or foe? I: the asteroids
पंक्ति 660:
|bibcode=1997PASJ...49L...1T
|last2=Watanabe
|last3=Jimbo}}</ref> १६ जुलाई १९९४ से २२ जुलाई १९९४ की समयावधि के दौरान, [[धूमकेतु सुमेकर-लेवी ९]] (SL9, औपचारिक रूप से नामित F2 D/1993) के २० से अधिक टुकड़े बृहस्पति के [[दक्षिणी गोलार्द्ध]] से टकरायें, सौरमंडल के दो निकायों के बीच की इस टक्कर ने पहला प्रत्यक्ष अवलोकन उपलब्ध कराया | इस टक्कर ने बृहस्पति के वायुमंडल की संरचना पर उपयोगी आंकड़े प्रदान किये |
<ref>{{cite web
|last = Baalke|first = Ron
पंक्ति 672:
|accessdate = 2007-02-20}}</ref>
 
१९ जुलाई २००९ को, प्रणाली २ में लगभग २१६ डिग्री देशांतर पर इस [[टक्कर स्थल]] को खोज लिया गया था |<ref>{{cite news|author=Staff|url=http://www.abc.net.au/news/stories/2009/07/21/2632368.htm
|title=Amateur astronomer discovers Jupiter collision
|date=2009-07-21|work=ABC News online
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== जीवन की संभावना ==<!-- This section is linked from [[Cosmos: A Personal Voyage]] -->
सन् १९५३ में, [[मिलर-उरे प्रयोग]] ने प्रदर्शन किया कि आद्य पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद बिजली और रासायनिक यौगिकों का एक संयोजन, ऐसे कार्बनिक यौगिक ([[एमिनो एसिड]] सहित) बना सकते है जो जीवन रूपी इमारत की इंटो के जैसे काम आ सकते है | ऐसा ही कृत्रिम वातावरण जिसमे पानी, मीथेन, अमोनिया और आणविक हाइड्रोजन शामिल हो, सभी अणु अभी भी बृहस्पति के वातावरण में है | बृहस्पति के वायुमंडल में एक शक्तिशाली ऊर्ध्वाधर वायु परिसंचरण प्रणाली है, जो इन यौगिकों को वहन कर निचले क्षेत्रों में ले जाएगा | वायुमंडल के आतंरिक भाग के भीतर का उच्च तापमान इन रसायनों को तोड़ देगा, जो पृथ्वी -सदृश्य जीवन के गठन में बाधा पहुचाएगा |<ref>{{cite web
|last=Heppenheimer|first=T. A.|year=2007|url=http://www.nss.org/settlement/ColoniesInSpace/colonies_chap01.html
|title=Colonies in Space, Chapter 1: Other Life in Space
|publisher=National Space Society|accessdate=2007-02-26}}</ref>
 
यह माना जाता है कि पृथ्वी की तरह बृहस्पति पर जीवन की अधिक संभावना नहीं है, वहां के वायुमंडल में पानी की केवल छोटी सी मात्रा है और बृहस्पति की भीतरी गहराई में संभावित ठोस सतह असाधारण दबाव के अधीन होगी | सन् १९७६ में, [[वॉयजर]] मिशन से पहले, यह धारणा थी कि अमोनिया या जल-आधारित जीवन बृहस्पति के ऊपरी वायुमंडल में विकसित हो सकता है | यह परिकल्पना स्थलीय समुद्र की पारिस्थितिकी पर आधारित है जिसके अनुसार शीर्ष स्तर पर सरल [[संश्लेषक प्लवक]] है, निचले स्तर पर यह प्लवक मछली का भोजन है और समुद्री शिकारी, जो मछली का शिकार करते है |<ref>{{cite web|url=http://www.daviddarling.info/encyclopedia/J/Jupiterlife.html
|accessdate = 2006-03-09|title=Life on Jupiter
|publisher=Encyclopedia of Astrobiology, Astronomy & Spaceflight}}</ref><ref>{{cite journal
पंक्ति 707:
|publisher=ABC News Online
|url=http://web.archive.org/web/20110512163240/http://www.abc.net.au/news/newsitems/200506/s1393223.htm
|accessdate=2008-02-28}}</ref> बेबीलोनियन से, यह निकाय उनके देवता [[मर्ड़क]] का प्रतिनिधि है | वे [[क्रांतिवृत्त]] के साथ इस ग्रह की लगभग १२-वर्षीय कक्षीय अवधि का इस्तेमाल उनकी [[राशि चक्र]] के [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] को परिभाषित करने करते थे |<ref name="burgess" /><ref>{{cite journal
|last=Rogers|first=J. H.
|title=Origins of the ancient constellations: I. The Mesopotamian traditions
पंक्ति 714:
|bibcode=1998JBAA..108....9R}}</ref>
 
रोमनों ने इसका नाम [[ज्यूपिटर]] रखा ([[लेटिन]]: Iuppiter, Iūpiter), जो रोमन पौराणिक कथाओं के प्रमुख देवता है, जिसका नाम [[आद्य-भारत-यूरोपीय सम्बोधन]] परिसर *Dyēu-pəter (पंजीकृत:*Dyēus-pətēr, अर्थ:' ' हे पिता आकाश के देवता ' ' या ' 'हे पिता दिवस के देवता ' ') से आता है |<ref name="etymologyonline">{{cite web
|last=Harper|first=Douglas|month=November|year=2001
|url=http://www.etymonline.com/index.php?term=Jupiter
पंक्ति 720:
|accessdate=2007-02-23}}</ref>
 
jovian बृहस्पति का विशेषणीय रूप है, इसका प्राचीन विशेषणीय रूप jovial है, जो मध्य युग में ज्योतिषियों द्वारा नियोजित था, जिसका अर्थ ' ' ख़ुशी ' ' या ' ' आनंदित ' ' भाव से आया है जिसे बृहस्पति के ज्योतिषीय प्रभाव के लिए उत्तरदायी ठहराया गया है |<ref>{{cite web
|url=http://dictionary.reference.com/browse/jovial
|title=Jovial|publisher=Dictionary.com|accessdate=2007-07-29}}</ref>
पंक्ति 727:
|url = http://www.webonautics.com/mythology/guru_jupiter.html
|title = Guru|publisher = Indian Divinity.com
|accessdate = 2007-02-14}}</ref>अंग्रेजी भाषा में Thursday ([[गुरुवार]]), ' ' Thor's day ' ' से लिया गया है, [[जर्मन मिथको]] में Thor बृहस्पति ग्रह के साथ जुडा है |<ref>{{cite journal
|last = Falk|first = Michael
|title=Astronomical Names for the Days of the Week
पंक्ति 733:
|year=1999|volume=93|pages=122–33|bibcode=1999JRASC..93..122F|doi=10.1016/j.newast.2003.07.002}}</ref>
 
[[मध्य एशियाई-तुर्की मिथक|मध्य एशियाई-तुर्की मिथकों]] में, बृहस्पति को ' ' Erendiz/Erentüz ' ' जैसा कहा गया, जिसका अर्थ ' ' eren(?)+yultuz(तारा) ' ' है | ' ' eren ' ' के अर्थ के बारे में कई सिद्धांत हैं | इसके अलावा, इन लोगों ने बृहस्पति की कक्षा की गणना ११ साल और ३०० दिन के रूप में की | वें मानते थे कि कुछ सामाजिक और प्राकृतिक घटनाएँ आसमान पर Erentüz हलचल से जुडी है |<ref>{{cite web
|url=http://www.ntvmsnbc.com/id/25085903/
|title=Türk Astrolojisi|publisher=ntvmsnbc.com|accessdate=2010-04-23}}</ref>