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'''भुवनेश्वर''' [[ओडिशा]] की राजधानी है। यंहा के निकट कोणार्क में विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर स्थित
भुवनेश्वर को पूर्व का काशी भी कहा जाता है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि यह एक प्रसिद्ध बौद्ध स्थल भी रहा है। प्राचीन काल में 1000 वर्षों तक बौद्ध धर्म यहां फलता-फूलता रहा है। बौद्ध धर्म की तरह जैनों के लिए भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। प्रथम शताब्दी में यहां चेदी वंश का एक प्रसिद्ध जैन राजा ''खारवेल' हुए थे। इसी तरह सातवीं शताब्दी में यहां प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों का निर्माण हुआ था। इस प्रकार भुवनेश्वर वर्तमान में एक बहुसांस्कृतिक शहर है।
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=== लिंगराज मंदिर समूह ===
{{main|लिंगराज मंदिर}}
इस मंदिर समूह का निर्माण सोमवंशी वंश के राजा ययाति ने 11वीं शताब्दी में करवाया
इस मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही 160 मी x 140 मी आकार का एक चतुर्भुजाकार कमरा मिलता है। इस मंदिर का शहतीर इस प्रकार बना हुआ है कि यह विस्मय और कौतुहल का एक साथ बोध कराता है। इस मंदिर का आकार इसे अन्य मंदिरों से अलग रुप में प्रस्तुत करता है। इस मंदिर में स्थापित मूर्तियां चारकोलिथ पत्थर की बनी हुई हैं। ये मूर्तियां समय को झुठलाते हुए आज भी उसी प्रकार चमक रही हैं। इन मूर्तियों की वर्तमान स्थिति से उस समय के मूर्तिकारों की कुशलता का पता चलता है। इस मंदिर की दीवारों पर खजुराहों के मंदिरों जैसी मूर्तियां उकेरी गई हैं। इसी मंदिर के भोग मंडप के बाहरी दीवार पर मनुष्य और जानवर को सेक्स करते हुए दिखाया गया है। पार्वती मंदिर जो इस मंदिर परिसर के उत्तरी दिशा में स्थित है, अपनी सुंदर नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
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