"कालक्रम विज्ञान": अवतरणों में अंतर
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== जूलियन दिनांक ==
नई शैली, पुरानी शैली, छूटे हुए दिन, अधिवर्ष आदि की झंझटों से बचने के लिए ज्योतिषी (और कभी-कभी इतिहासज्ञ भी) बहुधा जूलियन दिनांक से समय सूचित करते हैं। इस पद्धति का आंरभ ्फ्ऱेंच ज्योतिषी स्केलियर ने किया था। इस पद्धति में १ जनवरी
परिशिष्ट में विविध संवतों का प्रारंभ ई. सन् में बताया गया है। उसकी सहायता से उस संवत् में दिए हुए काल को हम ई. सन् में समान्यत: व्यक्त कर सकते हैं। समान्यत: इसलिए कहा गया है कि उस सवंत् का वर्षमान, मासगणना और दिनगणना का गणित जहाँ तक हम नहीं जानते वहाँ तक ई. सन. के ठीक दिनांक का निर्णय हम नहीं कर सकते।
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६ शक (शालिवाहन) अ ७८ अप्रैल चांद्र-सौर (अमांत) चैत्र शुक्ल दक्षिण भारत
७ वलभी अ ३१८
८ विलायती अ ५९२ सितंबर सौर १ कन्या उड़ीसा
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