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इतिहासकारों के मतानुसार नर्मदा घाटी की सभ्यता अत्यंत प्राचीन है। [[रामायण]] काल, [[महाभारत]] काल, [[सातवाहन]], [[कनिष्क]], अभिरोहर्ष, [[चालुक्य]], भोज, होलकर, [[सिंधिया]], [[मुगल]] तथा [[ब्रिटिश]] आदि से यह क्षेत्र जुड़ा हुआ है। विभिन्न कालों में यहां जैन, यदुवंशी, सिद्धपंथी, नागपंथी आदि का प्रभाव रहा है। प्राचीन स्थापत्य कला के अवशेष इस क्षेत्र के ऐतिहासिक गाथाओं को व्यक्त करने में आज भी सक्षम हैं। इस क्षेत्र में प्राप्त पाषाणकालीन शस्त्रों से भी यह सिद्ध होता है।
 
भारत के उत्तर व दक्षिण प्रदेशों को जोड़ने वाले प्राकृतिक मार्ग पर बसा यह क्षेत्र सदैव ही महत्वपूर्ण रहा है। इतिहास के विभिन्न कालखण्डों मे यह क्षेत्र - [[महेश्वर]] के [[हैहय]], [[मालवा]] के [[परमार]], [[असीरगढ़]] के अहीर, [[माण्डू]] के मुस्लिम शासक, मुगल तथा पेशवा व अन्य मराठा सरदारों - [[होल्कर]], [[शिंदे]], [[पवार]] - के साम्राज्य का हिस्सा रहा है। 1 नवंबरनवम्बर 1956 को [[मध्य प्रदेश]] राज्य के गठन के साथ ही यह जिला "पश्चिम निमाड़" के रूप में अस्तित्व में आ गया था। कालांतर में प्रशासनिक आवश्याकताओं के कारण दिनांक 25 मई 1998 को "पश्चिम निमाड़" को दो जिलों - [[खरगोन जिला]] एवं [[बड़वानी जिला]] में विभाजित किया गया।
 
;नाम इतिहास