"मूत्ररोग विज्ञान": अवतरणों में अंतर

छो विराम चिह्न की स्थिति सुधारी।
छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
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(२) पूर्व (past) इतिहास, विशेष कर मसूरिका, लोहितज्वर (scarlet fever), कनपेड़ा (mumps) या किसी दीर्घकालिक संक्रमण की अवधि,
 
(३) वंश वृत्त, विशेष कर क्षयरोग, अतिरुधिर तनाव (hypertension), उपदंश आदि से पीड़ित होने की जानकारी और यदि पहले कोई जाँच, अथवा चिकित्सा हुई हो ते उसका भी ज्ञान करना चाहिए।
 
(ख) '''शारीरिक (physical) परीक्षा'''-व्यापक परीक्षा करने के पश्चात्‌ उदर का निरीक्षण (inspection), परिस्पर्शन (palpation), परिताड़न (percussion) तथा परिश्रवण (auscultation) से वृक्क, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय आदि की परीक्षा करनी चाहिए। प्रॉस्टेट ग्रंथि तथा शुक्राशय आदि के लिये मलाशय परीक्षा करनी चाहिए। मूलाधार (perinum), एपिडिडिमिस (epididymis) और वृषणरज्जु की परीक्षा भी आवश्यक है। रक्त चाप तथा ज्वर की भी माप कर लेनी चाहिए।