"मेष राशि": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: डॉट (.) के स्थान पर पूर्णविराम (।) और लाघव चिह्न प्रयुक्त किये।
छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
पंक्ति 2:
 
== मेष (Aries) ==
राशि चक्र की यह पहली राशि है, इस राशि का चिन्ह ”मेढा’ या भेडा है, इस राशि का विस्तार चक्र राशि चक्र के प्रथम 30 अंश तक (कुल 30 अंश) है।राशिहै। राशि चक्र का यह प्रथम बिन्दु प्रतिवर्ष लगभग 50 सेकेण्ड की गति से पीछे खिसकता जाता है।इसहै। इस बिन्दु की इस बक्र गति ने ज्योतिषीय गणना में दो प्रकार की पद्धतियों को जन्म दिया है।भारतीयहै। भारतीय ज्योतिषी इस बिन्दु को स्थिर मानकर अपनी गणना करते हैं।इसेहैं। इसे निरयण पद्धति कहा जाता है।औरहै। और पश्चिम के ज्योतिषी इसमे अयनांश जोडकर ’सायन’ पद्धति अपनाते हैं।किन्तुहैं। किन्तु हमे भारतीय ज्योतिष के आधार पर गणना करनी चाहिये.क्योंकि गणना में यह पद्धति [[भास्कर]] के अनुसार सही मानी गई है।
मेष राशि पूर्व दिशा की द्योतक है, तथा इसका स्वामी ’[[मंगल]]’ है।इसकेहै। इसके तीन द्रेष्काणों (दस दस अंशों के तीन सम भागों) के स्वामी क्रमश: मंगल-मंगल, मंगल-सूर्य, और मंगल-गुरु हैं।मेषहैं। मेष राशि के अन्तर्गत अश्विनी नक्षत्र के चारों चरण और कॄत्तिका का प्रथम चरण आते हैं।प्रत्येकहैं। प्रत्येक चरण 3.20' अंश का है, जो नवांश के एक पद के बराबर का है।इनहै। इन चरणों के स्वामी क्रमश: अश्विनी प्रथम चरण में केतु-मंगल, द्वितीय चरण में केतु-शुक्र, तॄतीय चरण में केतु-बुध, चतुर्थ चरण में केतु-चन्द्रमा, भरणी प्रथम चरण में शुक्र-सूर्य, द्वितीय चरण में शुक्र-बुध, तॄतीय चरण में शुक्र-शुक्र, और भरणी चतुर्थ चरण में शुक्र-मंगल, कॄत्तिका के प्रथम चरण में सूर्य-गुरु हैं।
 
== नक्षत्र चरणफल ==
* '''[[अश्विनी]]''' [[भदावरी ज्योतिष]] नक्षत्र के प्रथम चरण के अधिपति केतु-मंगल जातक को अधिक उग्र और निरंकुश बना देता है।वहहै। वह किसी की जरा सी भी विपरीत बात में या कर्य में जातक को क्रोधात्मक स्वभाव देता है, फ़लस्वरूप जातक बात बात मे झगडा करने को उतारू हो जाता है।जातकहै। जातक को किसी की आधीनता पसंद नही होती है।वहहै। वह अपने अनुसार ही कार्य और बात करना पसंद करता है।
* '''दूसरे चरण''' के अधिपति केतु-शुक्र, जातक को ऐसो आराम की जिन्दगी जीने के लिये मेहनत वाले कार्यों से दूर रखता है, और जातक विलासी हो जाता है।
* '''तीसरे चरण''' के अधिपति केतु-बुध जातक के दिमाग में विचारों की स्थिरता लाता है, और जातक जो भी सोचता है, करने के लिये उद्धत हो जाता है।
* '''चौथे चरण''' के अधिपति केतु-चन्द्रमा जातक में भटकाव वाली स्थिति पैदा करता है, वह अपनी जिन्दगी में यात्रा को महत्व देता है, और जनता के लिये अपनी सहायतायें वाली सेवायें देकर पूरी जिन्दगी निकाल देगा.
* '''[[भरणी]]''' [[भदावरी ज्योतिष]] के प्रथम चरण के अधिपति शुक्र-सूर्य, जातक को अभिमानी और चापलूस प्रिय बनाता है।
* '''दूसरा चरण''' के अधिपति शुक्र-बुध जातक को बुद्धि वाले कामों की तरफ़ और संचार व्यवस्था से धन कमाने की वॄत्ति देता है।
* तीसरे चरण के अधिपति शुक्र-शुक्र विलासिता प्रिय और दोहरे दिमाग का बनाता है, लेकिन अपने विचारों को उसमे सतुलित करने की अच्छी योग्यता होती है।
* चौथे चरण के अधिपति शुक्र-मंगल जातक में उग्रता के साथ विचारों को प्रकट न करने की हिम्मत देते हैं, वह हमेशा अपने मन मे ही लगातार माया के प्रति सुलगता रहता है।जीवनहै। जीवन साथी के प्रति बनाव बिगाड हमेशा चलता रहता है, मगर जीवन साथी से दूर भी नही रहा जाता है।
* [[कॄत्तिका]] नक्षत्र के प्रथम चरण के अधिपति सूर्य-गुरु, जातक में दूसरों के प्रति सद्भावना और सदविचारों को देने की शक्ति देते हैं, वे अपने को समाज और परिवार में शालीनता की गिनती मे आते है।
 
== लगन ==
जिन जातकों के जन्म समय में निरयण चन्द्रमा मेष राशि में संचरण कर रहा होता है, उनकी मेष राशि मानी जाती है, जन्म समय में लगन मे मेष राशि होने पर भी यह अपना प्रभाव दिखाती है।मेषहै। मेष लगन मे जन्म लेने वाला जातक दुबले पतले शरीर वाला, अधिक बोलने वाला, उग्र स्वभाव वाला, रजोगुणी, अहंकारी, चंचल, बुद्धिमान, धर्मात्मा, बहुत चतुर, अल्प संतति, अधिक पित्त वाला, सब प्रकार के भोजन करने वाला, उदार, कुलदीपक, स्त्रियों से अल्प स्नेह, इनका शरीर कुछ लालिमा लिये होता है।
मेष लगन मे जन्म लेने वाले जातक अपनी आयु के 6,8,15,20,28,34,40,45,56 और 63 वें साल में शारीरिक कष्ट और धन हानि का सामना करना पडता है,16,20,28,34,41,48 और 51 साल मे जातक को धन की प्राप्ति वाहन सुख, भाग्य वॄद्धि, आदि विविध प्रकार के लाभ और आनन्द प्राप्त होते हैं।
== प्रकॄति/स्वभाव ==
मेष [[अग्नि]] [[तत्व]] वाली राशि है, अग्नि त्रिकोण (मेष, सिंह, धनु) की यह पहली राशि है, इसका स्वामी मंगल अग्नि ग्रह है, राशि और स्वामी का यह संयोग इसकी अग्नि या ऊर्जा को कई गुना बढा देती है, यही कारण है कि मेश जातक ओजस्वी, दबंग, साहसी, और दॄढ इच्छाशक्ति वाले होते हैं, यह जन्म जात योद्धा होते हैं।मेशहैं। मेश राशि वाले व्यक्ति बाधाओं को चीरते हुए अपना मार्ग बनाने की कोशिश करते हैं।
 
== शीर्षक ==
== आर्थिक गतिविधियां ==
मेष जातकों के अन्दर धन कमाने की अच्छी योग्यता होती है, उनको छोटे काम पसंद नही होते हैं, उनके दिमाग में हमेशा बडी बडी योजनायें ही चक्कर काटा करती है, राजनीति के अन्दर नेतागीरी, संगठन कर्ता, उपदेशक, अच्छा बोलने वाले, कम्पनी को प्रोमोट करने वाले, रक्षा सेवाओं में काम करने वाले, पुलिस अधिकारी, रसायन शास्त्री, शल्य चिकित्सिक, कारखानों ए अन्दर लोहे और इस्पात का काम करने वालेभी होते हैं, खराब ग्रहों का प्रभाव होने के कारण गलत आदतों में चले जाते हैं, और मारकाट या दादागीरी बाली बातें उनके दिमाग में घूमा करतीं हैं, और अपराध के क्षेत्र मे प्रवेश कर जाते हैं।
=== स्वास्थ्य और रोग ===
अधिकतर मेष राशि वाले जातकों का शरीर ठीक ही रहता है, अधिक काम करने के उपरान्त वे शरीर को निढाल बना लेते हैं, मंगल के मालिक होने के कारण उनके खून मे बल अधिक होता है, और कम ही बीमार पडते हैं, उनके अन्दर रोगों से लडने की अच्छी क्षमता होती है।अधिकतरहै। अधिकतर उनको अपनी सिर की चोटों से बच कर रहना चाहिये, मेष से छठा भाव कन्या राशि का है, और जातक में पाचन प्रणाली मे कमजोरी अधिकतर पायी जाती है, मल के पेट में जमा होने के कारण सिरदर्द, जलन, तीव्र रोगों, सिर की बीमारियां, लकवा, मिर्गी, मुहांसे, अनिद्रा, दाद, आधाशीशी, चेचक, और मलेरिया आदि के रोग बहुत जल्दी आक्रमण करते हैं।
{{राशियाँ}}
{{वैदिक साहित्य}}