"गोपाल कृष्ण गोखले": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Gopal krishan gokhale.jpg|right|thumb|250px|गोपाल कृष्ण गोखले]]
'''गोपाल कृष्ण गोखले''' (9 मई
== परिचय ==
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[[अफ्रीका]] से लौटने पर [[महात्मा गांधी]] भी सक्रिय राजनीति में आ गए और गोपालकृष्ण गोखले के निर्देशन में '[[सर्वेट्स आफ इंडिया सोसायटी]]' की स्थापना की, जिसमें सम्मिलित होकर लोग देश-सेवा कर सकें, पर इस सोसाइटी की सदस्यता के लिए गोखले जी एक-एक सदस्य की कड़ी परीक्षा लेकर सदस्यता प्रदान करते थे। इसी सदस्यता से संबंधित एक घटना है - मुंबई म्युनिस्पैलिटी में एक इंजीनियर थे अमृत लाल वी. ठक्कर। वे चाहते थे कि गोखले जी की सोसाइटी में सम्मिलित होकर राष्ट्र-सेवा से उऋण हो सकें। उन्होंने स्वयं गोखले जी से न मिलकर देव जी से प्रार्थना-पत्र सोसाइटी में सम्मिलित होने के लिए लिखवाया। अमृतलाल जी चाहते थे कि गोखले जी सोसाइटी में सम्मिलित करने की स्वीकृति दें तो मुंबई म्युनिस्पैलिटी से इस्तीफा दे दिया जाए, पर गोखले जी ने दो घोड़ों पर सवार होना स्वीकार न कर स्पष्ट कहा कि यदि सोसाइटी की सदस्यता चाहिए तो पहले मुंबई म्युनिस्पैलिटी से इस्तीफा दें। गोखले की स्पष्ट और दृढ़ भावना के आगे इंजीनियर अमृतलाल वी. ठक्कर को त्याग-पत्र देने के उपरांत ही सोसाइटी की सदस्यता प्रदान की गई। यही इंजीनियर महोदय गोखले जी की दृढ़ नीति-निर्धारण के कारण राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत सेवा-क्षेत्र में भारत विश्रुत '[[ठक्कर बापा]]' के नाम से जाने जाते है।
गोखले जी 1905 में आजादी के पक्ष में अंग्रेजों के समक्ष [[लाला लाजपतराय]] के साथ [[इंग्लैंड]] गए और अत्यंत प्रभावी ढंग से देश की स्वतंत्रता की वहां बात रखी। 19
{{भारतीय स्वतंत्रता संग्राम}}
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