"राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Pre-mRNA-1ysv-tubes.png|thumb|]]'''आर एन ए''' एक अकेली बहु [[न्यूक्लियोटाइड]] शृंखला वाला लम्बा तंतुनुमा अणु, जिसमें [[फॉस्फेट]] और [[राइबोज़]] शर्करा की इकाइयां एकांतर में स्थापित होतीं हैं। इसका पूर्ण नाम है [[राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल]]। [[डी एन ए]] की तरह आर एन ए में भी राइबोज़ से जुड़े चार क्षारक होते हैं। अंतर केवल इतना है, कि इसमें [[थाइमीन]] के स्थान पर [[यूरासिल]] होता है। किसी भी जीवित प्राणी के शरीर में राइबोन्यूलिक अम्ल भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जितनी [[डी एन ए]]। आरएनए शरीर में डीएनए के जीन्स को नकल कर के व्यापक तौर पर प्रवाहित करने का काम करता है। इसके साथ ही यह कोशिकाओं में अन्य आनुवांशिक सामग्री पहुंचाने में भी सहायक होता है।
 
आरएनए की खोज सेवेरो ओकोआ, रॉबर्ट हॉली और कार्ल वोसे ने की थी। आरएनए के महत्त्वपूर्ण कार्यो में जीन को सुचारू बनाना और उनकी प्रतियां तैयार करना होता है। यह विभिन्न प्रकार के प्रोटीनों को जोड़ने का भी कार्य करता है। इसकी कई किस्में होती हैं जिनमें रिबोसोमल आरएनए, ट्रांसफर आरएनए और मैसेंजर आरएनए प्रमुख हैं।आरएनएहैं। आरएनए की श्रृंखला फॉस्फेट्स और राइबोस के समूहों से मिलकर बनती है, जिससे इसके चार मूल तत्व, [[एडेनाइन]], [[साइटोसाइन]], [[गुआनाइन]] और [[यूरासिल]] जुड़े होते हैं। डीएनए से विपरीत, आरएनए एकल श्रृंखला होती है जिसकी मदद से यह खुद को कोशिका के संकरे आकार में समाहित कर लेता है। आरएनए का स्वरूप एक सहस्राब्दी यानी एक हजार वर्षो में बहुत कम बदलता है। अतएव इसका प्रयोग विभिन्न प्राणियों के संयुक्त पूर्वजों की खोज करने में किया जाता है। डीएनए ही आरएनए के संधिपात्र की भूमिका अदा करता है। मूलत: डीएनए में ही आरएनए का रूप निहित होता है। इसलिए आवश्यकतानुसार डीएनए, जिसके पास आरएनए बनाने का अधिकार होता है, आवश्यक सूचना लेकर काम में लग जाता है।
== संदर्भ ==
* [http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-77067.html आर.एन.ए]।हिन्दुस्तान। हिन्दुस्तान लाइव।{{हिन्दी चिह्न}}।[[१९ अक्तूबर]], [[२००९]]
 
== बाहरी सूत्र ==