"राइबोसोम": अवतरणों में अंतर

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'''राइबोसोम''' सजीव [[कोशिका]] के [[कोशिका द्रव]] में स्थित बहुत ही सूक्ष्म कण हैं, जिनकी [[प्रोटीनों]] के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये आनुवांशिक पदार्थों ([[डीएनए]] या [[आरएनए]]) के संकेतों को प्रोटीन शृंखला में परिवर्तित करते हैं।<ref name="यादव"/> ये एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के ऊपरी सतह पर पाये जाते हैं, इसके अलावा ये [[माइटोकाण्ड्रिया]] तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाये जाते हैं। राइबोसोम एक संदेशधारक राईबोस न्यूक्लिक अम्ल (एमआरएनए) के साथ जुड़े रहता है जिसमें किसी विशेष प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक [[अमीनो अम्ल]] को सही क्रमानुसार लगाने का संदेश रहता है। अमीनो अम्ल संदेशवाहक आरएनए अणुओं के साथ संलग्न रहते हैं। इस प्रकार राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है लिपिड के उपापचयी क्रियाओं में भी सहायता करता है।
 
राइबोसोम की खोज [[१९५०]] के दशक में [[रोमानिया]] के जीववैज्ञानिक जॉर्ज पेलेड ने की थी। उन्होंने इस खोज के लिए इलैक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग किया था जिसके लिए उन्हें [[नोबेल पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया था। राइबोसोम नाम [[१९५८]] में वैज्ञानिक रिचर्ड बी. रॉबर्ट्स ने प्रस्तावित किया था। राइबोसोम और उसके सहयोगी अणु २०वीं शताब्दी के मध्य से जीवविज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। उन पर काफी शोध और अनुसंधान भी प्रगति पर हैं। राइबोसोम की दो उप-इकाइयां होती हैं जो एकसाथ मिलकर प्रोटीन के निर्माण में कार्यरत रहती हैं। इन दोनों उप-इकाईयों का आकार एवं गठन [[प्रोकैरियोटिक]] एवं [[यूकैरियोटिक]] कोशिकाओं में भिन्न-भिन्न होता है। [[७ अक्तूबर]], [[२००९]] को भारतीय मूल के वैज्ञानिक [[वेंकटरमन रामकृष्णन]] को [[रसायन विज्ञान]] के क्षेत्र में [[नोबेल पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया था।<ref name="हिन्दुस्तान लाइव">[http://www.livehindustan.com/news/editorial/subeditorial/57-116-75851.html राइबोसोम पर अभी बहुत कुछ जानना बाकी]।{{हिन्दी चिह्न}}।हिन्दुस्तान। हिन्दुस्तान लाइव।[[१० अक्तूबर]], [[२००९]]</ref> उन्हें राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया गया।<ref name="माटी का लाल">[http://www.livehindustan.com/news/editorial/subeditorial/57-116-75850.html धरती से जुड़ा माटी का लाल]{{हिन्दी चिह्न}}।हिन्दुस्तान। हिन्दुस्तान लाइव।[[१० अक्तूबर]], [[२००९]]</ref><ref name="यादव">[http://lastpage3.blogspot.com/2009/10/blog-post.html भारतीय मूल के वैज्ञानिक वेंकटरमन रामाकृष्णनन को नोबल]।{{हिन्दी चिह्न}}।[[७ अक्तूबर]], [[२००९]]।राजेश। राजेश यादव</ref> उनके इस शोध-कार्य से कारगर प्रतिजैविकों को विकसित करने में मदद मिलेगी। इसराइली महिला वैज्ञानिक अदा योनोथ और अमरीका के थॉमस स्टीज़ को भी संयुक्त रूप से इस सम्मान के लिए चुना गया।
 
== संदर्भ ==