"जैनेन्द्र कुमार": अवतरणों में अंतर

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| जन्मतारीख़ = 2 जनवरी [[1905]]
| जन्मस्थान = कौड़ियालगंज [[अलीगढ़ जिला|अलीगढ़]] [[भारत]]
| मृत्युतारीख़ = 24 दिसंबरदिसम्बर [[1988]]
| मृत्युस्थान = [[नई दिल्ली]]
| कार्यक्षेत्र = व्यापार, पत्रकारिता, लेखन
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== जीवन परिचय ==
जैनेंद्र कुमार का जन्म २ जनवरी, सन [[१९०५]], में [[अलीगढ़ जिला|अलीगढ़]] के [[कौड़ियागंज]] गांव में हुआ।<ref>{{cite web |url= http://jainsamaj.org/celebrities/jainendra-११०१०३.htm|title= पद्मभूषण जैनेंद्र कुमार|accessmonthday=[[१८ अक्तूबर]]|accessyear=[[२००७]]|format= एचटीएम|publisher=जैनसमाज.ऑर्ग|language=अंग्रेज़ी}}</ref> उनके बचपन का नाम आनंदीलाल<ref>{{cite web |url= http://in.jagran.yahoo.com/sahitya/article/index.php?page=article&category=5&articleid=607|title= जैनेन्द्र: अप्रतिम कथा शिल्पी |accessmonthday=[[५ जनवरी]]|accessyear=[[२००९]]|format=
पीएचपी|publisher=याहू जागरण|language=}}</ref> था। इनकी मुख्य देन [[उपन्यास]] तथा [[कहानी]] है। एक साहित्य विचारक के रूप में भी इनका स्थान मान्य है। इनके जन्म के दो वर्ष पश्चात इनके पिता की मृत्यु हो गई। इनकी माता एवं मामा ने ही इनका पालन-पोषण किया। इनके मामा ने [[हस्तिनापुर]] में एक [[गुरुकुल]] की स्थापना की थी। वहीं जैनेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा हुई। उनका नामकरण भी इसी संस्था में हुआ। उनका घर का नाम आनंदी लाल था। सन १९१२ में उन्होंने गुरुकुल छोड़ दिया। प्राइवेट रूप से मैट्रिक परीक्षा में बैठने की तैयारी के लिए वह [[बिजनौर]] आ गए। १९१९ में उन्होंने यह परीक्षा बिजनौर से न देकर पंजाब से उत्तीर्ण की। जैनेंद्र की उच्च शिक्षा [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] में हुई। १९२१ में उन्होंने विश्वविद्यालय की पढ़ाई छोड़ दी और कांग्रेस के [[असहयोग आंदोलन]] में भाग लेने के उद्देश्य से दिल्ली आ गए। कुछ समय के लिए ये [[लाला लाजपत राय]] के '[[तिलक स्कूल ऑफ पॉलिटिक्स]]' में भी रहे, परंतु अंत में उसे भी छोड़ दिया।
 
सन १९२१ से २३ के बीच जैनेंद्र ने अपनी माता की सहायता से व्यापार किया, जिसमें इन्हें सफलता भी मिली। परंतु सन २३ में वे [[नागपुर]] चले गए और वहाँ राजनीतिक पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य करने लगे। उसी वर्ष इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और तीन माह के बाद छूट गए। दिल्ली लौटने पर इन्होंने व्यापार से अपने को अलग कर लिया। जीविका की खोज में ये कलकत्ते भी गए, परंतु वहाँ से भी इन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। इसके बाद इन्होंने लेखन कार्य आरंभ किया। २४ दिसंबरदिसम्बर [[१९८८]] को उनका निधन हो गया।
<ref>{{cite web |url= http://jainsamaj.org/celebrities/jainendra- ११०१०३.htm|title= पद्मभूषण जैनेंद्र कुमार|accessmonthday=[[१८ अक्तूबर]]|accessyear=[[२००७]]|format=
एचटीएम|publisher=जैनसमाज.ऑर्ग|language=अंग्रेज़ी}}</ref>