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'''तिलका माँझी''' (११ फरवरी,फ़रवरी १७५०) एक [[आदिवासी]] स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन करते हुये वे कई बार जेल गये और अंत में [[भागलपुर]] जेल में उन्हें [[फाँसी]] की सजा दी गयी।
 
== परिचय ==
तिलका मांझी भारत में ब्रिटिश सत्ता को चुनौती देने वाले मछुआ समुदाय के वीर आदिवासी थे। उनका जन्म ११ फरवरी,फ़रवरी १७५० को [[बिहार]] के सुल्तानगंज थाने के तिलकपुर गाँव में हुआ था। १७७१ से १७८४ तक उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध लड़ाई लड़ी और उन्हें नाको चने चबाये। तिलका मांझी ने १८५४ के स्वतंत्रता संग्राम से ९० वर्ष पूर्व [[संथाल विद्रोह]] का नेतृत्व भी किया। वह एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने बिहार के [[भागलपुर]] से सर्वप्रथम अंग्रेजो के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूंका। बाद में इस वीर पुत्र, स्वतंत्रता सेनानी को भागलपुर जेल में फांसी दे दी गई।
 
तिलका मांझी के नाम पर [[भागलपुर]] में [[तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय]] नाम से एक शिक्षा का केंद्र स्थापित किया गया है।