"थियिसोफिकल सोसाइटी": अवतरणों में अंतर

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== स्थापना ==
[[रूस]]निवासी महिला मैडम [[हैलना पैट्रोवना ब्लैवैटस्की]] (H. p. Blavatsky) और [[यूएसए|अमरीका]] निवासी [[कर्नल हेनरी स्टील ओलकोट]] ने 17 नवंबर,नवम्बर सन् 1875 को [[न्यूयार्क]] में थियोसॉफिकल सोसाइटी की स्थापना की।
 
सन् 1879 में सोसाइटी का प्रधान कार्यालय न्यूयार्क से [[मुम्बई]] में लाया गया। सन् 1882 में उसका प्रधान कार्यालय अद्यार ([[चेन्नै]]) में अंतिम रूप से स्थापित कर दिया गया। भारतवर्ष की राष्ट्रीय शाखा 18 दिसंबर,दिसम्बर 1890 को अद्यार में स्थापित हुई। बर्टरम कैटले इसके प्रथम प्रधानमंत्री थे। सन् 1895 में राष्ट्रीय शाखा का प्रधान कार्यालय वाराणसी लाया गया। श्री मूलजी थेकरसे इसके प्रथम भारतीय सदस्य थे। भारत आगमन के आरंभकाल में सोसाइटी ने आर्यसमाज के साथ मिलकर भारतवर्ष के सांस्कृतिक, धार्मिक पुनर्जागरण की योजना बनाई थी और कुछ समय तक संयुक्त रूप से कार्य भी किया था, परंतु बाद में दोनों संस्थाएँ पृथक् हो गईं। अद्यार स्थित कार्यालय के पास 266 एकड़ भूमि है, जिसमें अनेक भवन एवं कार्यालय हैं। यहाँ का पुस्तकालय संसार के सर्वोत्कृष्ट पुस्तकालयों में गिना जाता है। इसमें 12000 तालपत्र की पांडुलिपियाँ, 6000 अन्य अति प्राचीन हस्तलिखित पांडुलिपियाँ तथा 60 हजार से अधिक पुस्तकें हैं। ये पुस्तकें पाश्चात्य एवं भारतीय धर्म, [[दर्शन]] एवं विज्ञान विषयक हैं।
 
इसका मुखपत्र मासिक "थियोसॉफिस्ट" है। इसकी स्थापना सन् 1879 में मैडम ब्लैवेट्स्की द्वारा हुई थी।