"धूमकेतु": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
छो बॉट: दिनांक लिप्यंतरण और अल्पविराम का अनावश्यक प्रयोग हटाया।
पंक्ति 54:
२० वीं सदी के शुरुआत से धुमकेतूओं के नाम उसके खोजकर्ता पर से रखे जा रहे है और यह परम्परा आज भी जारी है | इसके नाम पहले के तीन खोजकर्ताओं पर रखे जाते है | कई धुमकेतूओं की खोज यांत्रिक साधनों से होती है ऐसे धुमकेतूओं के नाम इन साधनों पर से रखे जाते है | धुमकेतू ' '''आइ.आर.ए.एस.-आराकी-आलकोक''' ' की खोज आइ.आर.ए.एस. उपग्रह तथा शौकिया अवलोकनाकर्ता जेनिची आराकी और जोर्ज आलकोक ने स्वतन्त्र रूप से की थी | कभी कभी एक ही वैज्ञानिक या दल दो से ज्यादा धुमकेतूओं की खोज करते है ऐसे धुमकेतूओं के नाम के पीछे अंक लगाया जाता है जैसे कि '''शूमेकर-लेवी १''' | मई २००५ तक SOHO ने ९५० धुमकेतूओं की खोज की है |
 
बड़ी संख्या में धूमकेतु की खोजों ने नामकरण की प्रक्रिया को अव्यवहारिक बना दिया | सन् १९९४ में अन्तराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने नई नामकरण प्रणाली अनुमोदित की | धूमकेतुओं के नाम अब उसे खोजे गए वर्ष द्वारा, उसे खोजे गए पखवाड़े के संकेत द्वारा और उसी वर्ष की खोज की क्रम संख्या द्वारा दर्शाया जाता है | इस तरह की प्रणाली क्षुद्रग्रह के लिए पहले से ही उपयोग की जा रही है | इस प्रकार सन् २००६ के फरवरी महीने के दूसरे पखवाड़े (अर्थात १५ फरवरीफ़रवरी से २८/२९ फरवरीफ़रवरी के बीच) में खोजा गया धुमकेतू जो कि उस वर्ष का खोजा गया चौथा धुमकेतू है तो उसका नाम '''2006 D4''' होगा | धुमकेतू की प्रकृति को दर्शाने के लिए उपसर्ग भी जोड़ा जाता है |
 
उपसर्ग इस प्रकार है -