"नमक कर": अवतरणों में अंतर

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चंद्रगुप्त में नमक का चौथाइ हिस्सा कर के रूप में लिया जाता था। मुगलों के समय हिंदुओं से 5% और मुसलमानों से 2.5% नमक कर लिया जाता था।
1759 में ब्रिटिशों ने जमीन की लगान दुगनी कर दी और नमक के परिवहन पर भी कर लगा दिया।
1767 को तंबाकु और नारियल के बाद 7 अक्तूबरअक्टूबर 1768 को नमक पर भी कंपनी के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया।
1772 में वारेन हेस्टिंग्स ने नमक कर को फिर से कंपनी के अंतर्गत कर दिया। उसने इसके लिए एजेंट बनाए। कंपनी सर्वाधिक बोली लगाने वालों को पट्टों पर जमीन देती थई। इसने मजदूरों के शोषण को जन्म दिया। 1788 में नमक थोक विक्रेताओं को निलामी लगाकर दी जाने लगी। इसने नमक के दाम को एक रुप्ए से बढ़ाकर 4 रूप्ए कर दिया। यह अत्यधिक दर्दनाक स्थिति थि जिसमें केवल कुछ लोग ही नमक के साथ भोजन करने में समर्थथ थे।
1802 में उड़िसा के विजय के बाद अंग्रेजों ने नमक के उत्पादन पर कर बढ़ा दिया और मलंगी कर्ज में डूबकर दास बनते गए।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/नमक_कर" से प्राप्त