"नानाजी देशमुख": अवतरणों में अंतर
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| caption =
| birth_name =चंडिकादास अमृतराव देशमुख
| birth_date =११ अक्टूबर
| birth_place =कस्बा कदोली, जिला [[हिंगोली]], [[महाराष्ट्र]].
| death_date =२७
| death_place =[[चित्रकूट]], [[उत्तर प्रदेश]]
| nationality =भारतीय
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| occupation =समाजसेवक
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'''नानाजी देशमुख''' (जन्म : ११
== आरम्भिक जीवन ==
नानाजी का जन्म [[महाराष्ट्र]] के [[हिंगोली]] जिले के कडोली नामक छोटे से कस्बे में [[ब्राह्मण]] परिवार में ११ अक्टूबर
== आर.एस.एस. कार्यकर्ता के रूप में ==
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नानाजी ने उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र के सबसे पिछड़े जिलों [[गोंडा]] और [[बीड]] में बहुत से सामाजिक कार्य किये। उनके द्वारा चलायी गयी परियोजना का उद्देश्य था-"हर हाथ को काम और हर खेत को पानी।"
१९८९ में वे पहली बार [[चित्रकूट]] आये और अन्तिम रूप यहीं बस गये। उन्होंने भगवान [[श्रीराम]] की कर्मभूमि चित्रकूट की दुर्दशा देखी। वे मंदाकिनी के तट पर बैठ गये और अपने जीवन काल में चित्रकूट को बदलने का फैसला किया। चूँकि अपने वनवास-काल में [[राम]] ने दलित जनों के उत्थान का कार्य यहीं रहकर किया था, अत: इससे प्रेरणा लेकर नानाजी ने चित्रकूट को ही अपने सामाजिक कार्यों का केन्द्र बनाया। उन्होंने सबसे गरीब व्यक्ति की सेवा शुरू की। वे अक्सर कहा करते थे कि उन्हें [[राजा]] राम से वनवासी राम अधिक प्रिय लगते हैं अतएव वे अपना बचा हुआ जीवन चित्रकूट में ही बितायेंगे। ये वही स्थान है जहाँ राम ने अपने वनवास के चौदह में से बारह वर्ष गरीबों की सेवा में बिताये थे। उन्होंने अपने अन्तिम क्षण तक इस प्रण का पालन किया। उनका निधन भी चित्रकूट में ही रहते हुए २७
== दीनदयाल शोध संस्थान ==
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