"वासवदत्ता": अवतरणों में अंतर
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अर्थात् वानरों की सेना के समान [[सुग्रीव]] (युवतीपक्ष में सुन्दरग्रीव) और [[अंगद]] (युवतीपक्ष में अंगद नामक आभूषण विशेष) से सुशोभित थी।
श्लेष के पश्चात् [[विरोधाभाष]] (विरोध के समान प्रतीति) अलंकार का प्रयोग आधिक्य से पाया जाता है।
:‘अग्रहेणापि काव्यजीवज्ञेन’।
अर्थात् यद्यपि वह ‘ग्रह’ नहीं था तो भी काव्य शुक्र (जीव) बुध का ज्ञाता था। इस विरोधाभास का परिहार इस अर्थ
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