"प्रभाष जोशी": अवतरणों में अंतर

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'''प्रभाष जोशी''' (जन्म [[१५ जुलाई]] [[१९३६]]- निधन [[५ नवंबर]] [[२००९]]) [[हिन्दी]] [[पत्रकारिता]] के आधार स्तंभों में से एक थे। वे [[राजनीति]] तथा [[क्रिकेट]] पत्रकारिता के विशेषज्ञ भी माने जाते थे। [[दिल का दौरा]] पड़ने के कारण गुरुवार, ५ नवंबर,नवम्बर २००९ मध्यरात्रि के आसपास [[गाजियाबाद]] की वसुंधरा कॉलोनी स्थित उनके निवास पर उनकी मृत्यु हो गई।
== व्यक्तिगत जीवन ==
प्रभाष जोशी का जन्म भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के शहर [[इंदौर]] के निकट स्थित बड़वाहा में हुआ था। उनके परिवार में उनकी पत्नी उषा, माँ लीलाबाई, दो बेटे संदीप और सोपान तथा एक बेटी पुत्री सोनल है। उनके पुत्र सोपान जोशी, [[डाउन टू अर्थ]] नामक पर्यावरण विषयक अंग्रेजी पत्रिका के प्रबन्ध [[संपादन|सम्पादक]] हैं।<ref>http://web.archive.org/web/20091109163750/http://www.ptinews.com/news/364179_Noted-journalist-Prabhash-Joshi-dies</ref> प्रभाष जी बंद कमरे में कलम घिसने वाले पत्रकार नहीं होकर एक एक्टिविस्ट / कार्यकर्त्ता थे, जो गाँव, शहर, जंगल की खाक छानते हुए सामाजिक विषमताओं का अध्ययन कर ना केवल समाज को खबर देते थे अपितु उसे दूर करने का हर संभव प्रयास भी उनकी बेमिसाल पत्रकारिता का हीं एक हिस्सा था<ref name="janokti.com">http://www.janokti.com/?p=1091</ref>
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== देहांत ==
अपनी धारदार लेखनी और बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर प्रभाष जोशी अपने क्रिकेट प्रेम के लिए भी चर्चित थे। गुरुवार, 5 नवंबर,नवम्बर 2009 को टीवी पर प्रसारित हो रहे क्रिकेट मैच के रोमांचक क्षणों में तेंडुलकर के आउट होने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी तबियत कुछ ठीक नहीं है। इसके कुछ समय बाद उनकी तबियत अचानक ज्यादा बिगड़ गई। रात करीब 11:30 बजे जोशी को नरेंद्र मोहन अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।<ref>http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2009/11/091105_prabhash_dies_pp.shtml</ref> उनकी पार्थिव देह को विमान से शुक्रवार दोपहर बाद उनके गृह नगर इंदौर ले जाया जाएगा जहां उनकी इच्छा के अनुसार, नर्मदा के किनारे अंतिम संस्कार होगा।<ref>http://www.livehindustan.com/news/desh/national/39-39-79665.html</ref> सुबह जैसे ही उनके दोस्तों, प्रशंसकों और उनका अनुसरण करने वाले लोगों को उनकी मृत्यु की जानकारी मिली तो सभी स्तब्ध रह गए। समूचा पत्रकारिता जगत उनके इस तरह से दुनिया छोड़कर चले जाने से शोक संतप्त है। हर पत्रकार उन्हें अपने अपने अंदाज में श्रद्धांजलि दे रहा है।<ref>http://khabar.ndtv.com/2009/11/06153548/Prabhash-Joshi-tribute.html</ref>
प्रभाष जी बंद कमरे में कलम घिसने वाले पत्रकार नहीं होकर एक एक्टिविस्ट / कार्यकर्त्ता थे, जो गाँव, शहर, जंगल की खाक छानते हुए सामाजिक विषमताओं का अध्ययन कर ना केवल समाज को खबर देते थे<ref name="janokti.com"/> अपितु उसे दूर करने का हर संभव प्रयास भी उनकी बेमिसाल पत्रकारिता का हीं एक हिस्सा था