"वैदिक संस्कृत": अवतरणों में अंतर
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'''(१) शब्दरूप की दृष्टि से''' उदाहरणार्थ, लौकिक संस्कृत में केवल ऐसे रूप बनते हैं जैसे देवाः जनाः (प्रथम विभक्ति
बहुवचन)। जबकि वैदिक संस्कृत में इनमें रूप 'देवासः',
'''(२)''' वैदिक तथा लौकिक संस्कृत में क्रियारूपों और धातुरूपों में भी विशेष अन्तर है। वैदिक संस्कृत इस विषय में
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