"श्रावस्ती": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: डॉट (.) के स्थान पर पूर्णविराम (।) और लाघव चिह्न प्रयुक्त किये।
छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
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* पाणिनि (लगभग 500 ई.पूर्व) ने अपने प्रसिद्ध व्याकरण-ग्रन्थ 'अष्टाध्यायी' में साफ़ लिखा है कि स्थानों के नाम वहाँ रहने वाले किसी विशेष व्यक्ति के नाम के आधार पर पड़ जाते थे।
* महाभारत के अनुसार श्रावस्ती के नाम की उत्पत्ति का कारण कुछ दूसरा ही था। श्रावस्त नामक एक राजा हुये जो कि पृथु की छठीं पीढ़ी में उत्पन्न हुये थे। वही इस नगर के जन्मदाता थे और उन्हीं के नाम के आधार पर इसका नाम श्रावस्ती पड़ गया था। पुराणों में श्रावस्तक नाम के स्थान पर श्रावस्त नाम मिलता है। महाभारत में उल्लिखित यह परम्परा उपर्युक्त अन्य परम्पराओं से कहीं अधिक प्राचीन है। अतएव उसी को प्रामाणिक मानना उचित बात होगी। बाद में चल कर कोसल की राजधानी, अयोध्या से हटाकर श्रावस्ती ला दी गई थी और यही नगर कोसल का सबसे प्रमुख नगर बन गया।
* ब्राह्मण साहित्य, महाकाव्यों एवं पुराणों के अनुसार श्रावस्ती का नामकरण श्रावस्त या श्रावस्तक के नाम के आधार पर हुआ था। श्रावस्तक युवनाश्व का पुत्र था और पृथु की छठी पीढ़ी में उत्पन्न हुआ था।वहीथा। वही इस नगर के जन्मदाता थे और उन्हीं के नाम के आधार पर इसका नाम श्रावस्ती पड़ गया था।
* पुराणों में श्रावस्तक नाम के स्थान पर श्रावस्त नाम मिलता है।
* महाभारत में उल्लिखित यह परम्परा उपर्युक्त अन्य परम्पराओं से कहीं अधिक प्राचीन है। अतएव उसी को प्रामणिक मानना उचित बात होगी।
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महाकाव्यों में श्रावस्ती का विशद वर्णन मिलता है।
 
वायु पुराण और वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि रामचंद्र जी ने (दक्षिण कोसल का अपने पुत्र कुश को और उत्तर कोसल का लव को राजा बनाया था।रामायणथा। रामायण के अनुसार लव की राजधानी श्रावस्ती में थी, मधुपुरी में शत्रुघ्न को सूचना मिली कि लव के लिए श्रावस्ती नामक नगरी राम ने बसाई है और अयोध्या को जनहीन करके उन्होंने स्वर्ग जाने का विचार किया है। इस वर्णन से प्रतीत होता है कि श्रीराम के स्वर्गारोहण के पश्चात अयोध्या उजड़ गई थी और कोसल की नई राजधानी श्रावस्ती में बनाई गई थीं। रामायण में दो कोशल नगरों की चर्चा है:-
उत्तर कोशल जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी,
दक्षिण कोशल जिसकी राजधानी कुशावती थी।