"श्रीधराचार्य": अवतरणों में अंतर
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== कृतियाँ तथा योगदान ==
इन्होंने 750 ई. के लगभग दो प्रसिद्ध पुस्तकें, [[त्रिशतिका]] (इसे 'पाटीगणितसार' भी कहते हैं),
''''पाटीगणित''', '''पाटीगणित सार''' और '''त्रिशतिका''' उनकी उपलब्ध रचनाएँ हैं जो मूलतः [[अंकगणित]] और क्षेत्र-व्यवहार से संबंधित हैं। [[भास्कराचार्य]] ने [[बीजगणित (संस्कृत ग्रन्थ)|बीजगणित]] के अंत में - [[ब्रह्मगुप्त]], श्रीधर और [[पद्मनाभ]] के बीजगणित को विस्तृत और व्यापक कहा है - :'ब्रह्माह्नयश्रीधरपद्मनाभबीजानि यस्मादतिविस्तृतानि'।
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