"संख्या सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
इस गणित की रानी के अनुपम गुणों में से एक गुण, जिसके कारण छोटे-बड़े सभी प्रकार के [[गणितज्ञ]] इसकी ओर आकर्षित हुए हैं, यह है कि संख्या सिद्धांत के अनेक प्रश्न साधारण विद्यालयों के विद्यार्थियों की समझ में तो आ जाते हैं, परंतु हल करने में वे इतने सरल नहीं हैं। उदाहणस्वरूप, [[गोल्डबैक का अनुमान|गोल्डबैक के अनुमान]] (Goldbach's Conjecture) को लें, जिसके अनुसार 2 से बड़ी प्रत्येक [[सम संख्या]], दो अभाज्यों के योगफल के रूप में निरूपित की जा सकती है। इस अनुमान का सत्यापन तो बहुत अधिक हो गया है, परंतु अभी तक इसका सिद्ध करने में, या इसको असत्य करने में किसी गणितज्ञ को सफलता नहीं मिली है। इसके विपरीत एक ही उदाहरण इसको असत्य ठहराने के लिए पर्याप्त होगा, जब कि इसे पक्ष में लाखों उदाहरण इसकी सत्यता को सिद्ध ठहराने के लिए पर्यांप्त नहीं हो सकते। विनोग्रेडोव (Vinogradov) की विधि से हम इस अनुमान के निकट पहुंचते हैं। यह सिद्ध किया जा चुका है कि सब बड़ी [[विषम संख्या|विषम संख्याएँ]] तीन अभाज्यों के योगफल हैं।
 
यदि कोई संख्या यदृच्छया (at random) दी गई है, तो सामान्य: यह कहना संभव नहीं है कि वह संख्या अभाज्य है अथवा नहीं। यदि दी हुई संख्या बड़ी संख्या है, तो इसकी जाँच में बहुत श्रम करना पड़ेगा। इस श्रम को कम करने की कई विधियाँ निकाली गई हैं, परंतु समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।