"सत्याग्रह": अवतरणों में अंतर

छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
छो बॉट: विराम चिह्नों के बाद खाली स्थान का प्रयोग किया।
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[[विनोबा भावे|अचार्य विनोबा]] कहते हैं- "बुराई का प्रतिकार मत करो बल्कि विरोधी की समुचित चिंतन में सहायता करो। उसके सद्विचार में सहकार करो। शुद्ध विचार करने, सोचने समझने, व्यक्तिगत जीवन में उसका अमल करने और दूसरों को समझाने में ही हमारे लक्ष्य की पूर्ति होनी चाहिए। सामनेवाले के सम्यक् चिंतन में मदद देना ही सत्याग्रह का सही स्वरूप है।' इसे ही विनोबा सत्याग्रह को सौम्यतर और सौम्यतम प्रक्रिया कहते हैं। सत्याग्रह प्रेम की प्रक्रिया है। उसे क्रम-क्रम, अधिकाधिक निखरते जाना चाहिए।
 
सत्याग्रह कुछ नया नहीं है, कौटुंबिक जीवन का राजनीतिक जीवन में प्रसार मात्र है। गांधी जी की देन यह है कि उन्होंने सत्याग्रह के विचार का राजनीतिक जीवन में सामूहिक प्रयोग किया। कहा जाता है।, लोकतंत्र में, जहाँ सारा काम "लोक' की राय से, लोकप्रतिनिधियों के माध्यम से चल रहा है, सत्याग्रह के लिए कोई स्थान नहीं है। विनोबा कहते हैं-वास्तव में सामूहिक सत्याग्रह आवश्यकता तो उस तंत्र' में नहीं होगी, जिसमें निर्णय बहुमत से नहीं, सर्वसम्मति से होगा। परंतु उस दशा में भी व्यक्तिगत सत्याग्रह पड़ोसी के सम्यक् चिंतन में सहकार के लिए तो हो ही सकता है। परंतु लोकतंत्र में जब विचारस्वातंत्र्य और विचारप्रधान के लिए पूरा अवसर है, तो सत्याग्रह को किसी प्रकार के "दबाव, घेराव अथवा बंद,' का रूप नहीं ग्रहण करना चाहिए। ऐसा हुआ तो सत्याग्रह की सौम्यता नष्ट हो जाएगी। सत्याग्रही अपने धर्म से च्युत हो जाएगा।
 
आज दुनिया के विभिन्न कोनों में सत्याग्रह एवं अहिंसक प्रतिकार के प्रयोग निरंतर चल रहे हैं। द्वितीय महायुद्ध में हजारों युद्धविरोधी पैसेफिग्ट' सेना में भरती होने के बजाय जेलों में गए हैं। बट्र्रेंड रसेल जैसे दार्शनिक युद्धविरोधी सत्याग्रहों के कारण जेल के सीखचों के पीछे बंद हुए थे। अणुअस्त्रों के कारखाने आल्डर मास्टन से लंदन तक, प्रतिवर्ष 60 मील की पदयात्रा कर हजारों शांतिवादी अणुशस्त्रों के प्रति अपना विरोध प्रकट करते हैं। नीग्रो नेता मार्टिन लूथर किंग के बलिदान की कहानी सत्याग्रह संग्राम की अमर गाथा बन गई है। इटली के डैनिलो डोलची के सत्याग्रह की कहानी किसको रोमंचित नहीं कर जाती। ये सारे प्रयास भले ही सत्याग्रह की कसौटी पर खरे न उतरते हों, परंतु ये शांति और अहिंसा की दिशा में एक कदम अवश्य हैं।