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'''भारमल''' (शासन: 1 जून 1548 - 27 जनवरी, 1574) राजा पृथ्वीराज कछवाहा के पुत्र थे।<ref>{{cite book|title=राजस्थान के महाराणा और राज्यों का जीवन चरित्र |url = http://books.google.be/books?id=egBCAAAAIAAJ |author=मनोहर सिंह राणावत |publisher= राजस्थानी ग्रंथागार |year=1985 |page=100}}</ref> इतिहासकार 'टॉड' ने इन्हें 'बिहारीमल' लिखा है। ये [[आमेर]] के शासक थे। [[अकबर]] की अधीनता स्वीकार करनेवाले राजपूत राजाओं में ये सर्वप्रथम थे। इन्होंने हाजी खाँ विद्रोही के विरुद्ध मजनूँ खाँ की सहायता की थी, इसलिये मजनूँ खाँ ने मुगल सम्राट् अकबर से इन्हें दरबार में बुलवाने की प्रार्थना की। पहली भेंट में ही इनका बादशाह पर अच्छा प्रभाव पड़ा और इन्हें अकबर की सेवा का अवसर मिला। बाद में इनका भाई रूपसी भी मुगल सम्राट् की सेवा में उपस्थित हुआ। इन्होंने अपनी पुत्री का विवाह सम्राट् अकबर से कर दिया। इनके पुत्र भगवान्‌दास और पौत्र [[राजा मानसिंह]] भी बाद में अकबर के दरबार में पहुँच गए। सन्‌ 1569 के लगभग भारमल की मृत्यु हुई।
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/भारमल" से प्राप्त