"सूर्य": अवतरणों में अंतर

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|bibcode = 1977Natur.270..700F }}</ref> ऐसा तथाकथित [[पॉपुलेशन II]] (भारी तत्व-अभाव) सितारों में इन तत्वों की बहुतायत की अपेक्षा, सौरमंडल में [[भारी तत्वों]] की उच्च बहुतायत ने सुझाया है, जैसे कि सोना और यूरेनियम। ये तत्व, किसी सुपरनोवा के दौरान [[ऊष्माशोषी]] नाभकीय अभिक्रियाओं द्वारा अथवा किसी दूसरी-पीढ़ी के विराट तारे के भीतर [[न्यूट्रॉन अवशोषण]] के माध्यम से [[नाभकीय रूपांतरण | रूपांतरण]] द्वारा, उत्पादित किए गए हो सकने की सर्वाधिक संभवना है।<ref name=zeilik />
 
सूर्य की चट्टानी ग्रहों के माफिक कोई निश्चित सीमा नहीं है। सूर्य के बाहरी हिस्सों में गैसों का घनत्व उसके केंद्र से बढ़ती दूरी के साथ तेजी से गिरता है।<ref name=Zirker2002-11>{{Cite book|last=Zirker|first=Jack B.|title=Journey from the Center of the Sun|year=2002|publisher=[[Princeton University Press]]|isbn=978-0-691-05781-1|page=11}}</ref> बहरहाल, इसकी एक सुपारिभाषित आंतरिक संरचना है जो नीचे वर्णित है। सूर्य की त्रिज्या को इसके केंद्र से लेकर [[प्रभामंडल]] के किनारे तक मापा गया है। सूर्य का बाह्य प्रभामंडल दृश्यमान अंतिम परत है। इसके उपर की परते [[नग्न आंखों]] को दिखने लायक पर्याप्त प्रकाश उत्सर्जित करने के लिहाज से काफी ठंडी या काफी पतली है।<ref name=Phillips1995-73>{{Cite book|last=Phillips|first=Kenneth J. H.|title=Guide to the Sun|year=1995|publisher=[[Cambridge University Press]]|isbn=978-0-521-39788-9|page=73}}</ref> एक पूर्ण [[सूर्यग्रहण]] के दौरान, तथापि, जब प्रभामंडल को चंद्रमा द्वारा छिपा लिया गया, इसके चारों ओर सूर्य के [[कॉरोना | कोरोना]] का आसानी से देखना हो सकता है।
 
सूर्य का आंतरिक भाग प्रत्यक्ष प्रेक्षणीय नहीं है। सूर्य स्वयं ही [[विद्युत चुम्बकीय विकिरण]] के लिए अपारदर्शी है। हालांकि, जिस प्रकार [[भूकम्प विज्ञान]] पृथ्वी के आंतरिक गठन को प्रकट करने के लिए भूकंप से उत्पन्न तरंगों का उपयोग करता है, [[सौर भूकम्प विज्ञान]]<sup>[[:en: helioseismology | En]]</sup> का नियम इस तारे की आंतरिक संरचना को मापने और दृष्टिगोचर बनाने के लिए दाब तरंगों ([[अपश्रव्य | पराध्वनी]]) का इस्तेमाल करता है।<ref name=Phillips1995-58>{{Cite book|last=Phillips|first=Kenneth J. H.|title=Guide to the Sun|year=1995|publisher=[[Cambridge University Press]]|isbn=978-0-521-39788-9|pages=58–67}}</ref> इसकी गहरी परतों की खोजबीन के लिए [[कम्प्यूटरी सिमुलेशन | कंप्यूटर मॉडलिंग]] भी सैद्धांतिक औजार के रूप में प्रयुक्त हुए है।
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[[File:Sun red giant.svg|thumb|301px|left|वर्तमान सूर्य का आकार (फिलहाल [[मुख्य अनुक्रम]] में है) भविष्य में अपने लाल दानव चरण के दौरान अपने अनुमानित आकार की तुलना में ]]
इससे पहले कि यह एक लाल दानव बनता है, सूर्य की चमक लगभग दोगुनी हो जाएगी और पृथ्वी शुक्र जितना आज है उससे भी अधिक गर्म हो जाएगी। एक बार कोर हाइड्रोजन समाप्त हुई, सूर्य का [[उपदानव]] चरण में विस्तार होगा और करीब आधे अरब वर्षों उपरांत आकार में धीरे धीरे दोगुना जाएगा। उसके बाद यह, आज की तुलना में दो सौ गुना बड़ा तथा दसियों हजार गुना और अधिक चमकदार होने तक, आगामी करीब आधे अरब वर्षों से ज्यादा तक और अधिक तेजी से फैलेगा। यह [[लाल दानव शाखा]] का वह चरण है, जहां पर सूर्य करीब एक अरब वर्ष बिता चुका होगा और अपने द्रव्यमान का एक तिहाई के आसपास गंवा चुका होगा।<ref name=schroder/>
 
सूर्य के पास अब केवल कुछ लाख साल बचे है, पर वें बेहद प्रसंगपूर्ण है। प्रथम, कोर [[हीलियम चौंध]] में प्रचंडतापूर्वक सुलगता है और सूर्य चमक के 50 गुने के साथ, आज की तुलना में थोड़े कम तापमान के साथ, अपने हाल के आकार से 10 गुने के आसपास तक वापस सिकुड़ जाता है।
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1970 के दशक में, दो अंतरिक्ष यान [[हेलिओस (अंतरिक्ष यान) | हेलिओस]] और [[स्काईलैब]] [[अपोलो टेलीस्कोप माउंट]] <sup>[[:en:Apollo Telescope Mount|En]]</sup> ने सौर वायु व सौर कोरोना के महत्वपूर्ण नए डेटा वैज्ञानिकों को प्रदान किए | हेलिओस 1 और 2 यान अमेरिकी-जर्मनी सहकार्य थे | इसने अंतरिक्ष यान को [[बुध]] की कक्षा के भीतर {{उपसौर}} की ओर ले जा रही कक्षा से सौर वायु का अध्ययन किया |<ref name=Burlaga2001/> 1973 में स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन नासा द्वारा प्रक्षेपित हुआ | इसने अपोलो टेलीस्कोप माउंट कहे जाने वाला एक सौर [[वेधशाला]] मॉड्यूल शामिल किया जो कि स्टेशन पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा संचालित हुआ था |<ref name=Dwivedi2006/> स्काईलैब ने पहली बार सौर संक्रमण क्षेत्र का तथा सौर कोरोना से निकली पराबैंगनी उत्सर्जन का समाधित निरीक्षण किया |<ref name=Dwivedi2006/> खोजों ने [[कोरोनल मास एजेक्सन]] के प्रथम प्रेक्षण शामिल किए, जो फिर "कोरोनल ट्रांजीएंस्ट" और फिर [[कोरोनल होल्स]] कहलाये, अब घनिष्ठ रूप से [[सौर वायु]] के साथ जुड़े होने के लिए जाना जाता है |<ref name=Burlaga2001>{{Cite journal|last=Burlaga|first=L.F.|title=Magnetic Fields and plasmas in the inner heliosphere: Helios results|year=2001|journal=Planetary and Space Science|volume=49|issue=14–15|pages=1619–27|doi=10.1016/S0032-0633(01)00098-8|ref=harv|bibcode=2001P&SS...49.1619B}}</ref>
 
1980 का [[सोलर मैक्सीमम मिशन]] नासा द्वारा शुरू किया गया था | यह अंतरिक्ष यान उच्च सौर गतिविधि और सौर चमक के समय के दरम्यान [[गामा किरण | गामा किरणों]], [[ऍक्स किरण | एक्स किरणों]] और [[सौर ज्वाला]]ओं से निकली [[पराबैंगनी]] विकिरण के निरीक्षण के लिए रचा गया था | प्रक्षेपण के बस कुछ ही महीने बाद, हालांकि, किसी इलेक्ट्रॉनिक्स खराबी की वजह से यान जस की तस हालत में चलता रहा और उसने अगले तीन साल इसी निष्क्रिय अवस्था में बिताए | 1984 में [[स्पेस शटल चैलेंजर]] मिशन STS-41C ने उपग्रह को सुधार दिया और कक्षा में फिर से छोड़ने से पहले इसकी इलेक्ट्रॉनिक्स की मरम्मत की | जून 1989 में पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश से पहले सोलर मैक्सीमम मिशन ने मरम्मत पश्चात सौर कोरोना की हजारों छवियों का अधिग्रहण किया |<ref>
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आज दिन तक का सबसे महत्वपूर्ण सौर मिशन [[सौर एवं सौरचक्रीय वेधशाला (सोहो) | सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ओब्सर्वेटरी]] रहा है | 2 दिसंबर1995 को शुरू हुआ यह मिशन [[यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी]] और [[नासा]] द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया था |<ref name=Dwivedi2006/> मूल रूप से यह दो-वर्षीय मिशन के लिए नियत हुआ था | मिशन की 2012 तक की विस्तारण मंजूरी अक्टूबर 2009 में हुई थी |<ref name=sohoext>{{cite web| date = October 7, 2009|url = http://sci.esa.int/science-e/www/object/index.cfm?fobjectid=45685|title = Mission extensions approved for science missions|work = ESA Science and Technology|accessdate = February 16, 2010}}</ref> यह इतना उपयोगी साबित हुआ कि इसका अनुवर्ती मिशन [[सौर गतिशीलता वेधशाला | सोलर डायनमिक्स ओब्सर्वेटरी]] (एसडीओ) फरवरी, 2010 में शुरू किया गया था |<ref name=sdolaunch>{{cite web| date = February 11, 2010|url = http://www.nasa.gov/home/hqnews/2010/feb/HQ_10-040_SDO_launch.html|title = NASA Successfully Launches a New Eye on the Sun|work = NASA Press Release Archives|accessdate = February 16, 2010}}</ref> यह पृथ्वी और सूर्य के बीच [[लग्रांज बिन्दु | लाग्रंगियन बिंदु]] (जिस पर दोनों ओर का गुरुत्वीय खींचाव बराबर होता है) पर स्थापित हुआ | सोहो ने अपने प्रक्षेपण के बाद से अनेक तरंगदैर्ध्यों पर सूर्य की निरंतर छवि प्रदान की है |<ref name=Dwivedi2006/> प्रत्यक्ष सौर प्रेक्षण के अलावा, सोहो को बड़ी संख्या में [[धूमकेतु]]ओं की खोज के लिए समर्थ किया गया है, इनमे से अधिकांश [[सूर्य के निवाले छोटे धूमकेतु]]<sup>[[:en:sungrazing comet|En]]</sup> है जो सूर्य के पास से गुजरते ही भस्म हो जाते है |<ref>
{{cite web
|title=Sungrazing Comets
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सूर्य" से प्राप्त